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Description
तत्व बोध एवं आत्म-बोध
सृष्टि के आरम्भ में एक ही मूल तत्व ब्रह्म था। ब्रह्म की चेतनाशक्ति ही अपनी मायाशक्ति (प्रकृति) की सहायता से किस प्रकार सृष्टि के विभिन्न रूपों की रचना करती है, इसका जानना ही तत्व-बोध है। आत्म-बोध की प्राप्ति के लिए सत्य और मिथ्या का ज्ञान आवश्यक है जिसे जानना ही तत्व-बोध है।
तत्व को जानकर मिथ्या का त्यागकर सत्य को उपलब्ध होना ही आत्म-बोध है। आत्म-बोध होने पर ही जीव और ब्रह्म की एकता का भान होता है-वही मोक्ष की स्थिति है। इसलिए प्रत्येक मुमुक्षु के लिए ये दोनों ग्रन्थ सच्चे मार्ग दर्शक हैं।
Additional information
Binding | Paperback |
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Authors | |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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