Sthagit Kal

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300.00 240.00

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Author: Mridula Garg

Availability: 4 in stock

Pages: 144

Year: 2017

Binding: Hardbound

ISBN: 9788188457137

Language: Hindi

Publisher: Samayik Prakashan

Description

स्थगित कल

प्रस्तुत है मृदुला गर्ग की चार लम्बी कहानियां, जो वर्षों से अपनी प्रगाढ़ अनुभूतियों और स्थापनाओं के कारण बहुचर्चित रही हैं।

ये कहानियां हिन्दी साहित्य में ‘विमर्श-वर्चा आरम्भ होने के पहले ही अपना स्थान बना चुकी हैं। लेखिका का दावा है कि उन्होंने इनकी रचना किसी विमर्श-स्त्रीवादी, नियतिवादी, मार्क्सवादी, सामंतवादी अथवा बाजारवादी आदि से मुक्त रहकर ही इनकी रचना की थी और ये कहानियां हिन्दी जगत में अपनी अनुभूति, मानवीय पीड़ा, संवेदना एवं भावबोध के कारण ही प्रसिद्ध हुई हैं।

इन कहानियों में मृत्यु एवं जीवन के गहन गुंजलक हैं जो जिजीविषा के वेग से मानवीय भावनाओं का आवेग जगाते हैं।

इनमें से ‘स्थगित कल’ कहानी को पढ़ते ही प्रख्यात कथाकार जैनेन्द्र ने लेखिका को पत्र लिखा था –

प्रिय मृदुला,

अभी तुम्हारी ‘स्थगित कल’ पढ़कर ‘साक्षात्कार’ का अंक हाथ से छोड़ा है। इतनी पीड़ा शायद ही किसी कहानी ने दी हो। मेरी बधाई लो, हार्दिक बधाई।

तुम्हारी स्नेहिल

जैनेन्द्र

 

अनुक्रम

★       स्थगित कल

★       डैफोडिल जल रहे हैं !

★       मेरा

★       कितनी कैदें

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2017

Pulisher

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