Udar Islam Ka Soophi Chehara
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उदार इस्लाम का सूफी चेहरा
सूफियों का प्रेम-दर्शन मानवीय प्रेम से लेकर ईश्वरीय प्रेम तक प्रसार पाता है। जायसी के अनुसार ‘मानुस प्रेम भएउ बैकुण्ठी। नाहित काह छार एक मूठी।’ इस उदात्त प्रेम और उसकी आभा से आलोकित इन कवियों की प्रेम गाथाओं का मर्म समझने के लिए उनके सिद्धांतो के क्रमिक विकास और उनकी सैद्धांतिक प्रेम-दृष्टि को समझना आवश्यक होता है।
इस पुस्तक में सूफी-दर्शन का क्रमिक विकास दिखाया गया है। इस क्रम में देखा गया है कि सूफी दर्शन (तसव्वुफ़) पर भारतीय वेदांत दर्शन का प्रभाव है। मुसूर-अल-इलाज, इब्बुल अरबी, अब्दुल करीम-अल-जिली के विचार तो पुर्णतः वेदांत सम्मन थे। इसे उनके कथनों के उद्वरण द्वारा प्रतिपादित किया गया है। अहं ब्रह्मास्मि के वेदान्तिक सूत्र का अनुवाद ही अनलहक है। ईश्वर-जीव की एकता के सिद्धांत की सूफियों ने ‘वह्द्तुल वजूद’ कहा था। इसका विरोधकर परवर्ती सूफियों ने ‘वह्द्तुलशहूद’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया। यह एक रोचक अध्ययन इस पुस्तक में सर्वप्रथम मूल स्रोतों के आधार पर प्रस्तुत हुआ है। साथ ही ‘सूफीमत’ के सिद्दांतो, सम्प्रदायों तथा विशेषताओं को हिंदी के सूफी कवियों के उद्वारणों के साथ प्रस्तुत किया गया है। ‘सूफीमत’ को समझने के लिए यह पुस्तक विद्वानों और विद्यार्थियों दोनों के लिए उपयोगी है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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