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Description
कवि निराला
‘कवि निराला’ पुस्तक निराला जन्मशती पर पाठकों के हाथ है—यह एक सुखद संयोग है कि इस पुस्तक के कृति समीक्षक आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी ने १९४७ में काशी में निराला की ‘स्वर्ण जयन्ती’ मनायी थी और आज उनकी जन्मशती पर सूनृत कुमार वाजपेयी अपने पिता की तथा महाकवि निराला की स्मृति गन्ध बिखेरने के लिए इस पुस्तक का पुर्नप्रकाशन कर रहे हैं। आचार्य वाजपेयी ने निराला को ‘शताब्दी का कवि’ और उनके काव्य को ‘शताब्दी काव्य’ कहा था। उन्होंने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से निराला के उस महाकवि को खोज लिया था जो गत, आगत और अनागत सभी को एकाकार कर लेता है। टी.एस. इलियट ने भी महान् कवि के परिचय में यही कहा था कि महान् कवि वह होता है जो आत्मसात् कर, वर्तमान सन्दर्भों में जीता हुआ भावी की पदचाप भी सुन लेता है।
आधुनिक हिन्दी कविता का उद्गम भारतेन्दु-द्विवेदी युग से प्रारम्भ होकर छायावाद युग में पहुँचकर नयी करवट लेता है और इस युग की कवि चतुष्टयी प्रसाद, निराला, पन्त और महादेवी के चार स्तम्भों पर उस काव्य को गढ़ता है जिसको सांस्कृतिक प्रौढ़ता आगामी कवियों के लिए न केवल आधार बनती है बल्कि उनके अनुकरण और विकास में स्वयं को धन्य मानती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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