Muktibodh : Gyan Aur Samvedana

-10%

Muktibodh : Gyan Aur Samvedana

Muktibodh : Gyan Aur Samvedana

299.00 269.00

In stock

299.00 269.00

Author: Nandkishore Naval

Availability: 5 in stock

Pages: 492

Year: 2019

Binding: Paperback

ISBN: 9788126719204

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

मुक्तिबोध : ज्ञान और संवेदना

सुधी समीक्षक नंदकिशोर नवल की मुक्तिबोध पर लिखी गई यह पुस्तक दो खंडों में विभक्त है। पहले खंड में मुख्यतः उनके ‘ज्ञान’ का विश्लेषण है और दूसरे खंड में मुख्यतः उनकी ‘संवेदना’ का। लेकिन यह विभाजन केवल सुविधा की दृष्टि से है, नवलजी ने मुक्तिबोध को यथासम्भव अविभाज्य रूप में देखने और दिखाने की कोशिश की है। अध्ययन कविता पर केन्द्रित है, लेकिन प्रसंगवश इसमें उनके आलोचना-साहित्य, कथा-साहित्य और उनकी राजनीतिक टिप्पणियों की भी छानबीन की गई है। मुक्तिबोध की कविता पर विचार करते हुए नवलजी ने उनकी मार्क्सवादी विश्वदृष्टि एवं राजनीतिक चेतना, उनके आत्मसंघर्ष, उनकी ओजपूर्ण भावना, विराट कल्पना और विश्लेषणात्मक बुद्धि की गहरी छानबीन की है और इस संदर्भ में अन्य विद्वान आलोचकों के मतों को भी जाँचा-परखा है।

मुक्तिबोध की प्रगीतात्मकता, फैंटेसी और भाषा पर भी विस्तार से विचार किया गया है और परिशिष्ट में मुक्तिबोध की सर्वाधिक चर्चित एवं महत्त्वपूर्ण कविता ‘अँधेरे में’ का विश्लेषण किया गया है। दूसरे शब्दों में मुक्तिबोध पर यह पहली मुकम्मल किताब है।

Additional information

Weight 1 kg
Dimensions 21 × 14 × 4 cm
Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Muktibodh : Gyan Aur Samvedana”

You've just added this product to the cart: