New Media Aur Badalta Bharat

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New Media Aur Badalta Bharat

New Media Aur Badalta Bharat

350.00 315.00

In stock

350.00 315.00

Author: Pranjal Dhar & Krishnakant

Availability: 5 in stock

Pages: 200

Year: 2018

Binding: Hardbound

ISBN: 9788193655511

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

न्यू मीडिया और बदलता भारत

बदलते विश्व के साथ न सिर्फ पत्रकारिता की भाषा और परिभाषा बदली है, बल्कि इसके आयाम भी बहुत विस्तृत हुए हैं। नित नवीन तकनीकों के आगमन ने मीडिया को एक खास किस्म की ताकत प्रदान की है, हालाँकि यह भी उतना ही सही है कि सम्पादक जैसी संस्थाओं का पत्रकारिता-जगत में लोप-सा होता चला गया है। कहा जाता है कि इंटरनेट ने लोगों की जीवनशैलियों में परिवर्तन उत्पन्न किए हैं, न्यू मीडिया ने एक वर्चुअल दुनिया को जन्म दिया है : एक ऐसी दुनिया को, जहाँ कोई भी अपने विचार बहुत आसानी से रख सकता है और न्यू मीडिया या वेबसाइट्स के जरिये बहुत सारे लोगों तक पहुँचा सकता है। शायद न्यू मीडिया की द्रुतता और इसके सुविधाजनक होने के कारण इसके प्रयोक्ताओं की संख्या बढ़ती जा रही है।

पत्रकारिता की नई संरचनाओं से सम्बन्धित यह पुस्तक मीडिया के क्षेत्र में हुए हालिया वैश्विक विकास की गहन पड़ताल करती है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का समाचार माध्यमों पर क्या असर पड़ा है, समाचारों की अन्तर्वस्तु की महत्ता क्यों घटी है, जनसरोकार क्यों हाशिये पर जा रहे हैं, पब्लिक स्फीयर में क्यों और कितना संकुचन हुआ है, ऑनलाइन रहने के क्या निहितार्थ होते हैं, स्वामित्व में संकेन्द्रण का मीडिया के सन्देशों पर क्या प्रभाव पड़ता है—ऐसे अनेक प्रश्नों से मुठभेड़ करती यह पुस्तक न्यू मीडिया की भीतरी तहों तक जाती है और व्यापक सरोकारों पर जोर दिए जाने का आग्रह करती है। अपनी इस पुस्तक में प्रांजल धर और कृष्णकान्त ने सोशल मीडिया समेत न्यू मीडिया को जानने-समझने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है।

यह दृष्टिकोण ऐसे समय में बहुत महत्वपूर्ण है, जब फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप जैसे द्रुत माध्यमों के कारण, ऐसा लगता है कि, दुनिया हमारी नजदीकी पहुँच में आ गयी है। यहाँ हैक्टिविज़्म जैसे अपेक्षाकृत नए विचारों पर व्यापक विमर्श मौजूद हैं जो मीडिया के शोधार्थियों या विद्यार्थियों के साथ-साथ आम पाठकों के लिए भी बहुत उपयोगी हैं। असल में जिस तरीके की मीडिया साक्षरता की जरूरत विकासशील देशों को है, यह पुस्तक अपनी सधी हुई भाषा, प्रस्तुति और वैचारिकी के साथ उस दिशा में पाठकों को कुछ आगे जरूर ले जाती है।

Additional information

Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2018

Pulisher

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