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मंत्र पोथी
‘मन्त्र’ इस शब्द का तात्पर्य है कि गुरु की कृपा से आध्यात्मिक शक्ति से युक्त गुप्त विद्या प्राप्त होना। यदि साधक मन्त्र का अनुष्ठान श्रद्धा, भक्ति-भाव और गुरु की बताई विधि से करता है तो अवश्य ही सफलता प्राप्त करता है। मन्त्र अपने आप में देवता है। अतः लौकिक एवं पारलौकिक सिद्धियों के लिए इससे बढ़कर और कोई साधन नहीं है।
मन्त्र केवल ध्वनि ही नहीं है अपितु इसके मूल में पूर्ण शक्ति तत्त्व विद्यमान रहता है। मन्त्र स्वयं में ही तेजयुक्त एवं शिवत्व की अभिव्यक्ति देने में समर्थ है। शिव व भक्ति के उचित सामंजस्य के कारण ही मन्त्र भोग और मोक्ष दोनों गतियाँ देने में समर्थ है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher |
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