Swatantrayottar Hindi Kahani Va Kahanikar

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Swatantrayottar Hindi Kahani Va Kahanikar

Swatantrayottar Hindi Kahani Va Kahanikar

495.00 375.00

In stock

495.00 375.00

Author: Krishna Agnihotri

Availability: 5 in stock

Pages: 232

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789388260015

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी व कहानीकार

स्वतंत्रता पश्चात्‌ प्रथम बार महिलाएँ देश के क्षितिज पर अपने लेखन को अपने ही दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने हेतु प्रस्तुत हुई। उनमें यथार्थ व समसामयिकता के सुंदर सफल प्रयोग हुये जिसके अंतर्गत मन्नू भंडारी, कृष्णा सोबती, ऊषा प्रियवंदा एवं विजया चौहान का स्थान है।

इन्होंने विषयों को अपने मौलिक ढंग से मांजा और तराशा, कई विविध वस्तु शिल्प का प्रयोग हुआ, इन्होंने कथा को रूढ़ियों व खराब परंपराओं से मुक्त किया।

यही आधुनिक बोध अगली पीढ़ी ने अपनाया। मृदुला गर्ग, शशिप्रभा शास्त्री, मंजुल भगत, निरुपमा सेवती, दीप्ति खंडेलवाल आदि ने यद्यपि चन्द्रकिरण सौनरक्सा ने पिंजरे की मैना से महिला के डैशिंग एटीट्यूड का प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया था।

अब महिला लेखन में मध्य वर्ग की घुटन, एकरसता, मानवीय मूल्यों का विघटन, पारिवारिक संत्रास भी आ रहा था। ममता कालिया, मन्नू भंडारी आदि ने नये कवच धारण कर अपनी परिपक्वता का परिचय दिया।

पश्चात्‌ आया वैज्ञानिक युग जिसमें इन लेखिकाओं के अतिरिक्त अन्य उभरती लेखिकाओं ने भी अपने योगदान

से झूठे लिजलिजे समझौते न कर अपनी अस्मिता हेतु ठोस पुकार प्रारंभ कर दी और आई चित्रा मुद्गल, नासिरा शर्मा, कृष्णा अग्निहोत्री, मैत्रेयी पुष्पा, प्रभा खेतान, चन्द्रकांता एवं सूर्यबाला आदि जिन्होंने नई कहानी को सशक्त बनाया। नये विषय, नये कथानक व्यंग्य आत्म-कथाएँ आदि विधाएँ प्रस्तुत कीं। सबके पास नये कथानक थे कोई भी दुहराव नहीं था।

इसी कहानी को आगे बढ़ाने हेतु कमलेश बख्शी, राजी सेठ, कमल कुमार ने अपना लेखन प्रस्तुत किया। प्रत्येक लेखक की एक सीमा होती है। मैं 1990 से प्रवेशी प्रतिनिधि लेखिकाओं को प्रस्तुत करते हुये भी 2000 तक आ गई पर लेखन की बढ़त से कई लेखिकाओं को पूर्ण रूपेण …लिखने में असमर्थ रही। शिवानी, मृणाल पांडे एक अलग-थलग अपना स्थान बना रही थीं इसीलिए उन्हें ढूंढ़ा है। जिनको छोड़ा वह सीमित बंध है व क्षमा योग्य।

लेखकों का खंड प्रारम्भ में है और लेखिकाओं का अलग विवरण है। आशा है यह ग्रंथ छात्रों व बुद्धिजीवियों द्वारा पठनीय माना जायेगा एवं उपयोगी होगा।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

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