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Description
आठ एकांकी
संस्कृत नाट्यशास्त्र में वर्णित रूपक के भेदों-भाण, प्रहसन, व्यायोग, वीथी और अंक तथा उपरूपकों में से गोष्ठी, नाट्यरासक, विलासिका आदि की एक अंकीय संरचना में एकांकी से मिलते-जुलते कुछ रूपों को देखा जा सकता है। इसी तरह यूरोप के मिस्ट्री, मिरिकल और मोरेलिटी नाटकों में भी इसके कुछ रूप तलाशे जा सकते हैं। परन्तु आज का एकांकीलेखन आधुनिक युग की देन है। यूरोप में नाटक शुरू होने से पूर्व आए दर्शकों का मनोरंजन करने अथवा उन्हें शान्त रखने के लिए जिस कर्टेन रेजर का प्रचलन हुआ वही आज के एकांकीलेखन का प्रेरणा-स्रोत बना अर्थात् नाटक से पूर्व एक लघु नाट्य प्रदर्शन। अक्तूबर 1903 में लन्दन के वेस्टएंड थिएटर में डब्ल्यू. डब्ल्यू. जैकब की कहानी ‘द मंकीज पॉ’ का नाट्यान्तर पहली बार कर्टेन रेजर के रूप में इतना चर्चित हुआ कि दर्शक मूल नाटक को ही भूल गए। इसके उद्देश्य और मूड का मुख्य नाटक से गहरा अन्तर था।
प्रस्तुत संकलन एकांकी के विविध रूपों का एक चित्र पेश करता है। यथार्थवादी और गैर-यथार्थवादी रंगशिल्प, नाटकीय भाषा, सामाजिक स्थितियों के बुनियादी प्रश्नों के अनेक स्तरों का अंकन एक तरह से हिन्दी नाटकलेखन की बानगी ही है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Publishing Year | 2018 |
Pages | |
Pulisher |
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