Gunga Nahi Tha Main

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Gunga Nahi Tha Main

Gunga Nahi Tha Main

175.00 145.00

In stock

175.00 145.00

Author: Jaiprakash Kardam

Availability: 4 in stock

Pages: 88

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789388260220

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

गूंगा नहीं था मैं

कवि, कथाकार, आलोचक डॉ. जयप्रकाश कर्दम हिन्दी साहित्य की दुनियाँ में एक सम्मानित नाम है। अपने बेलाग और तीखे तेवर के लिए उनकी एक विशिष्ट पहचान है। हिन्दी में दलित साहित्य को एक आधार और पहचान दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साहित्य, संस्कृति और समाज को देखने की उनकी एक दृष्टि है जो उन्हें अपने समकालीन अन्य रचनाकारों से अलग करती है। उनकी यह दृष्टि उनकी रचनाओं में सहज देखी जा सकती है। वह एक ऐसे विरल रचनाकार हैं, जिनमें सौम्य हढ़ता है। शब्दों के आक्रोश और अक्खड़ता से मुक्त रहकर सौम्य-शालीन भाषा में अपने अनुभव और विचारों को तार्किकता और दृढ़ता के साथ अभिव्यक्त करने का वह अद्भुत कौशल रखते हैं। यही कारण है कि उनकी बात कहीं अधिक प्रभाव छोड़ती हुई दूर तक जाती है और प्रतिपक्ष को भी सोचने को विवश करती है। उनकी रचनाओं में सर्वत्र मनुष्य और मनुष्यता की खोज तथा मानवीय अस्मिता और गरिमा के लिए संघर्ष का स्वर गुंजायमान है। “गूंगा नहीं था मैं” कविता संग्रह में शामिल उनकी कविताएं उन लोगों की यातना, संघर्ष, स्वप्न और जिजीविषा की सार्थक अभिव्यक्ति हैं, जो सदियों से दलित, शोषित और उपेक्षित रहें हैं तथा आज भी समाज के हाशिये पर हैं। अपनी कविता को एक जेहाद और संप्रेषणीयता को कविता की कसौटी मानने वाले कवि जयप्रकाश कर्दम की ये कविताएं मनुष्य और समाज को नए ढंग से देखने, समझने और परिभाषित करने का सार्थक प्रयास है। इन कविताओं से गुजरना पाठकों के लिए एक नया अनुभव होगा।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2019

Pulisher

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