Bhor Hone Se Pahale

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Bhor Hone Se Pahale

Bhor Hone Se Pahale

595.00 445.00

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595.00 445.00

Author: Mithileshwar

Availability: 5 in stock

Pages: 228

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355185020

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

भोर होने से पहले

मिथिलेश्वर की कहानियाँ प्रायः उनकी अपनी जमीन से जुड़ी हुई होती हैं और वहाँ के शोषित, अभावग्रस्त और गरीबी में साँस ले रहे, या फिर विकसित हो रही औद्योगिक संस्कृति एवं शहरी हवा में कहीं खो गये आदमी की मनोदशा का विश्लेषण करती हैं। रचनाकार ने अपने आसपास के जीवन को एक्स-रे नजर से देखा, जाना है। जीवन के दुःखद, भयावह, कटु एवं विषाक्त परिवेश ने उन्हें भीतर तक कचोटा है, आहत किया है। शायद, इन्हीं सब विषमताओं और जटिलताओं से उपजी हैं मिथिलेश्वर की कहानियाँ। इनमें एक ओर जहाँ स्वाधीनता के इतने बरस बाद दीमक की तरह जहाँ-तहाँ चिपके सामन्ती जीवन पद्धति का चित्रण है तो कहीं आश्रय और पनाह की खोज में भटक गयी नारी-काया का। इससे भिन्न कुछ-एक कहानियाँ राजनीति और शिक्षा-जगत् के गिरते मूल्यों की ओर मार्मिक व्यंग्य के लहज़े में अंगुलि-निर्देश करती हैं। कुछ कहानियाँ शुद्ध काल्पनिक भी हैं।

आंचलिक यथार्थ को सजीव एवं प्रभावपूर्ण बनाने में बिम्बों-प्रतीकों का समायोजन इन कहानियों की अपनी विशेषता है।

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Authors

Binding

Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

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