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Description
पन्नों पर कुछ दिन
इन दो अलग-अलग कालखण्डों की डायरी से गुज़रने पर ऐसा लगता है कि यह विद्यार्थी नामवर सिंह से शोधार्थी नामवर सिंह की यात्रा का एक संक्षिप्त साहित्यिक वृत्तान्त है। उनके एकान्त के क्षणों का चिन्तन, अपने मित्रों, गुरुओं तथा उस समय के उभरते हुए साहित्यकारों के साथ बौद्धिक-विमर्श-सब कुछ इन दोनों डायरियों में दर्ज है। इन डायरियों को उस समय के साहित्यिक वातावरण का दर्पण भी कहा जा सकता है। बनारस और इलाहाबाद उस समय साहित्य, संगीत और कला की उर्वर भूमि थे। साहित्य की बहुत-सी प्रसिद्ध हस्तियाँ इन शहरों की देन थीं, जिनका इन शहरों से लगाव भी बराबर बना रहा। इन शहरों के उस कालखण्ड पर नज़र डालें, तो मशहूर ग्रीक कवि कवाफ़ी का यह वाक्य याद आता है – “हम किसी शहर में नहीं, समय विशेष में रहते हैं और समय ?’’ ये शहर तो आज भी हैं, लेकिन वह समय, वे लोग, वह वातावरण अब पहले की तरह नहीं हैं।
नामवर सिंह को बेहतर जानने और समझने की जिज्ञासा रखने वालों के लिए पन्नों पर कुछ दिन पुस्तक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ हो सकती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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