Police Kavi Cheshlav Milosh

-21%

Police Kavi Cheshlav Milosh

Police Kavi Cheshlav Milosh

95.00 75.00

In stock

95.00 75.00

Author: Ashok Vajpeyi

Availability: 5 in stock

Pages: 124

Year: 2011

Binding: Paperback

ISBN: 9789350007013

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

पोलिश कवि चेस्लाव मीलोष

संसार में अनिवार्य रूप से मौजूद बुराई और मानवीय यातना को अपनी कविता के केन्द्र में रखनेवाले पोलिश कवि चेस्लाव मीलोष बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विश्व-कविता के अधिकतर उलझे परिदृश्य में एक अनिवार्य नाम रहे हैं। इस समय वे सम्भवतः विश्व-कविता के सबसे जेठे सक्रिय कवि हैं। अपनी जातीय ईसाई परम्परा से मीलोष ने मनुष्य में अनिवार्यतः मौजूद बुराई का तीखा अहसास पाया था। उसे पोलैण्ड में पहले नाज़ी और बाद में साम्यवादी तानाशाहियों द्वारा दमित-शोषित किये जाने के दुखद ऐतिहासिक अनुभवों ने मीलोष को इस बुराई को उसकी सारी विकृतियों और उसमें लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण साझेदारी या उनके बारे में अवसरवादी चुप्पी के साथ नज़दीक से देखने-समझने का अवसर दिया। कविता उनके लिए इसके विरुद्ध संघर्ष की रणभूमि बनी।

1911 में जन्मे मीलोष पिछली शताब्दी में उन महान्‌ लेखकों में से हैं जिन्हें लगभग सारी ज़िन्दगी अपने देश और भाषा से निर्वासित रहना पड़ा है लेकिन जिन्होंने इस देश निकाले को अपनी, अपने समय में मनुष्य की स्थिति को थोड़ा दूर से समझने और विन्यस्त करने में इस्तेमाल किया है। अनेक अतिरेकों से घिरे रह कर भी मानवीय विवेक की सक्रियता उनकी कविता के केन्द्र में रही है। इतिहास के भयानक विवर्त में फँसे और अपनी स्मृतियों को घाव की तरह लिये हुए मीलोष एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने एक तरह के आध्यात्मिक सन्तुलन की खोज अपनी कविता के माध्यम से की है। उनकी कविता बार-बार हमारे समय में बुराई की शक्तियों द्वारा लोगों के पोषक सम्बन्धों जैसे परिवार, धर्म, पड़ोस, साझी विरासत के ध्वंस की चेष्टाओं के प्रति सचेत रहने की कविता है उसमें पोलैण्ड में नाज़ियों द्वारा किये गये यहूदियों के नरसंहार और साम्यवादी सत्ता द्वारा किये गये दूसरे संहारों की तीखी स्मृति सदा सक्रिय है। मीलोष की कविता साहस और निर्भीकता के साथ गवाही देने वाली कविता है। उसमें यह उम्मीद शामिल है कि सर्वनाश असम्भव है, कि मनुष्यता अन्ततः अपराजेय है, कि कविता स्वयं भाषा और मानवीय संवेदना का अति जीवन है, कि बचना और बचाना सम्भव है, कि इस खूँखार हत्यारे समय में आशा और आस्था आवश्यक है।

 

अनुक्रम

       चेसलाव मीलोष (कवि परिचय)

★       कविता का खुला घर

★       एक कहानी

★       यह जो मैं लिखता रहता था

★       स्तुति-गीत

★       सिर

★       आमुख

★       मुठभेड़

★       काम्पो दि फ़्योरी

★       खसखस की कथा

★       विश्वास

★       आशा

★       प्रेम

★       सूर्य

★       विदा

★       कविता के प्रति

★       जन्म

★       एशिया के बारे में एक विचार

★       तुम

★       विदा

★       भूमिका

★       मुटरीपन

★       उससे अधिक कुछ नहीं

★       जो पहले कभी महान था

★       चाहिए, नहीं चाहिए

★       नदियाँ और छोटी होती जाती हैं

★       वे वहाँ परदे रखेंगे

★       जब चन्द्रमा

★       खिड़की

★       शब्द

★       काव्यकला ?

★       मेरी वफ़ादार भाषा

★       राजा राव से

★       काम

★       मछली

★       इस तरह नहीं

★       इतना थोड़ा

★       एक जापानी कवि इस्सा (1762-1826) को पढ़ते हुए

★       वाक्य

★       काव्यदशा

★       पोलिश साहित्य

★       भोर में

★       * * * (शुरू करना रहना एक वाक्य में)

★       सिर्फ़ यह एक चीज

★       आत्मस्वीकार

★       अपनी पत्नी यानीना को विदा कहते हुए

★       संगीत में

★       और फिर भी

★       सामंजस्य

★       अर्थ

★       कौन ?

★       सपने

★       यह

★       भूल जाओ

★       ओ !

★       ओ ! गुस्टाव क्लिण्ट (1862-1918)

★       यूदिता (एक तफ़्सील) आस्ट्रियन गैलरी; वियेना

★       ओ ! साल्वेतोर रोज़ा (1615-1673)

★       आक़ृतियों के साथ दृश्य, येल विश्वविद्यालय गैलरी

★       ओ ! एडवर्ड हापर (1882-1967)

★       होटल रूम, थाइसैन संग्रह, लूगानो

★       जहाँ कहीं भी

★       जाहिर है

★       विरोध

★       एक कवि की मृत्यु पर

★       बाद में

★       देर से परिपक्वता

★       अगर नहीं है

★       एक प्रवास

★       अभिभावक देवदूत

★       अब मुझे

★       उम्र नयी

★       कैसे

★       ऐसा एक प्रबन्ध

★       धर्म हम अर्जित करते हैं

★       सच कहूँ

★       अगर मेरे पास न होता

★       ऑरफ़ियस और यूरीडिसी

Additional information

Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2011

Pulisher

Reviews

There are no reviews yet.


Be the first to review “Police Kavi Cheshlav Milosh”

You've just added this product to the cart: