Hindi Sahitya Ka Ojhal Nari Etihas (1857-1947 Tak)
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Description
हिन्दी साहित्य का ओझल नारी इतिहास
सन् 1857 से 1947 तक का समय साहित्य और स्वाधीनता आन्दोलन की दृष्टि से एक उल्लेखनीय कालखंड है।
साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में इस दौरान भारतीयों ने जो महत्त्वपूर्ण कार्य किए, उनमें स्त्रियों का योगदान भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं था। उनका मूल स्वर साम्राज्यवादी ताकतों से लोहा लेने वाला ही था। स्वदेशी आन्दोलन को शक्ति प्रदान करने में वे कभी पीछे नहीं रहीं। संयम और मर्यादा का उनका साहित्य विविध विधाओं में पूरे वेग के साथ सामने आया, किन्तु हिन्दी के आलोचकों और इतिहासकारों की दृष्टि में भारतीय नारियों का यह प्रयास ओझल ही रह गया।
उनकी इस उदासीनता के चलते, ‘हिन्दी साहित्य का ओझल नारी इतिहास’ जैसी महत्त्वपूर्ण इतिहास पुस्तक में साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में भारतीय नारियों के योगदान को सामने लाने का उल्लेखनीय प्रयास सुपरिचित कथाकार नीरजा माधव ने किया। देर से ही सही, किन्तु यह ऐतिहासिक महत्त्व की पुस्तक हिन्दी साहित्य के इतिहास में एक बड़े शून्य को भरने का काम कर रही है। इससे आधुनिक स्त्री-विमर्श को अपनी भारतीय जड़ें तलाशने का मौका भी मिलेगा।
शोधार्थियों और साहित्योतिहास के जिज्ञासुओं के लिए यह एक जरूरी किताब है। यहां नीरंजा माधव एक श्रमशील इतिहासकार के रूप में सामने आई हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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