Hindustani Kahawat Kosh
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Description
हिन्दुस्तानी कहावत कोश
अ
अंग्रेज़ की नौकरी और बंदर नचाना बराबर है
वह एक बहुत मुश्किल काम है।
(बंदर एक बड़ा चंचल और चिड़चिड़े स्वभाव का जानवर होता है। ज़रा भी नाराज़ हो जाए तो या तो अपना खेल दिखाना बंद कर देगा, या मदारी को नोंच-खसोट लेगा। इसलिए कहावत का भाव यह है कि अंग्रेज़ की नौकरी में बहुत सावधान रहने की ज़रूरत पड़ती है। ज़रा चूके कि गए !)
अंग्रेज़ भी अक्ल के पुतले हैं
बड़े गुणी हैं।
अक्ल का पुतला–एक मुहा., बुद्धिमान।
अंग्रेज़ी राज, तन को कपड़ा न पेट को नाज
टैक्सों के बोझ से पीड़ित जनता को अच्छी तरह खाना-कपड़ा नहीं मिलता था।
अंग्रेज़ों ने चरसा भर ज़मीन से सारा हिन्दुस्तान अपना कर लिया
अर्थात वे पक्के व्यवसायी और कूटनीतिज्ञ हैं।
चरसा, (चरस) भूमि नापने का एक परिमाण जो 2100 हाथ का होता है।
अंडा सिखावै बच्चे को कि चीं-चीं मत कर
छोटे मुंह बड़ी बात।
अंडुवा बैल, जी का जवाल, (ग्रा.)
स्वतंत्र और उच्छृंखल व्यक्ति के लिए क.।
अंडुवा=बिना बधियाया हुआ बैल। सांड।
अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई
परिश्रम कोई करे, और कोई लाभ उठाए।
अंडे सेना=पक्षियों का अपने अंडों पर गर्मी पहुँचाने के लिए बैठना।
अंतड़ियां कुल्हू अल्ला पढ़ रही हैं
अर्थात भूख से आंतें कुलबुला रही हैं।
(कुल-हो-अल्लाह–कुरान के एक सूरा का प्रारंभिक अंश है; जिसे विशेष अवसरों पर पढ़ते हैं।)
अंतड़ी में रूप बकची में छब, (मु. स्त्रि.)
रूप आंतों में और छवि बक्से में बंद रहती है। अर्थात चेहरे की सुंदरता खाने-पीने और शरीर की सुंदरता वस्त्र-आभूषणों पर निर्भर करती है।
अंत बुरे का बुरा
बुरे का अंत बुरा ही होता है। जो किसी का बुरा करता है, अंत में स्वयं उसका बुरा होता है।
अंत भले का भला
जो दूसरों के साथ भलाई करता है, अंत में उसका स्वयं भला होता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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