Mujhe Pahachaano

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Mujhe Pahachaano

Mujhe Pahachaano

249.00 199.00

In stock

249.00 199.00

Author: Sanjeev

Availability: 5 in stock

Pages: 176

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9789389830323

Language: Hindi

Publisher: Setu Prakashan

Description

मुझे पहचानो

समाज की परंपराओं व व्यवस्थाओं के निर्माण में पुरुष की वर्चस्ववादी मानसिकता की अहम्‌ भूमिका रही है। इन्हीं निर्मितियों में एक है सतीप्रथा। इसी प्रथा को केंद्र में रख कर उपन्यास ‘मुझे पहचानो’ समाज के धार्मिक, सांसारिक और बौद्धिक पाखंड की परतें उधेड़ता है।

सती होने की प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस अमानवीय परंपरा के पीछे मूल कारक सांस्कृतिक गौरव है। सांस्कृतिक गौरव के साथ शुचिता का प्रश्न स्वतः उभरता है। इसमें समाहित है वर्ण की शुचिता, वर्ग की शुचिता, रक्त की शुचिता और लैंगिक शुचिता इत्यादि। इसी क्रम में पुरुषवादी यौन शुचिता की परिणति के रूप में सतीप्रथा समाज के सामने व्याप्त होती है।

समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगों के नजरिये से परे यह प्रथा सर्वमान्य रही है और वर्तमान समय में भी गौरवशाली संस्कृति के हिस्से के रूप में स्वीकार्य है। महत्त्वपूर्ण और निराशाजनक यह है कि स्त्रियाँ भी इसकी धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यता को सहमति देती हैं। उपन्यास में एक महिला इस प्रथा को समर्थन देते हुए कहती है, ‘‘…जीवन में कभी-कभी तो ऐसे पुण्य का मौका देते हैं राम !’’

उपन्यास ‘मुझे पहचानो’ इसी तरह की अमानवीय धार्मिक मान्यताओं को खंडित करने और पाखंड में लिपटे झूठे गौरव से पर्दा हटाने का प्रयास करता है। इसी क्रम में धर्म और धन के घालमेल को भी उजागर करता है। इसके लिए सटीक भाषा, सहज प्रवाह और मार्मिक टिप्पणियों का प्रयोग उपन्यास में किया गया है जो इसकी प्रभावोत्पादकता का विस्तार करता है।

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सुनोगे पहले, तिरंगे में गये नहीं मिला, फिर भगवा में गये नहीं मिला, फिर साइकिल में गये नहीं मिला, हाथी में गये नहीं मिला, हँसुआ हथौड़ा तारा में गये नहीं मिला, आखिर में हमसे कहा कि नक्सलियों की कोई पार्टी है उसी में चले जाते हैं। आश्चर्य उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई और पार्टियों को भी उनसे कोई दिक्कत नहीं हुई। यह है अपना देश और ये हैं अपने नेता और ये हैं उनके सिद्धांत। आवर प्रिंसिपल इज द मैन ऑफ प्रिंसिपल्स। टिकट के हिसाब से सिद्धांत बनते हैं। सब सिद्धांत गये गधी के…में। खैर, लेकिन हुआ क्या जानते हो सात दिन बाद किसी दूसरे को टिकट मिल गया, छटपटा कर रह गये। वजह, उसने दो करोड़ उड़ेल दिये थे…

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2023

Pulisher

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