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Meera Madhuri
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Description
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
₹300.00 ₹240.00
₹300.00 ₹240.00
Author: Brajratndas, Madhav Hada
Pages: 290
Year: 2019
Binding: Paperback
ISBN: 9789389191288
Language: Hindi
Publisher: Ananya Prakashan
मीराँ माधुरी
मध्यकालीन संत–भक्त कवयित्री मीरां को समझने–समझाने के लिए 1948 ई. में पहली बार प्रकाशित ‘मीराँ–माधुरी’ का महत्त्व निर्विवाद है। ब्रजरत्नदास के समय तक अधिकांश किताबों और पद संकलनों में मीरां एक अतिमानवीय संत–भक्त के रूप में देखी–समझी गई थी और उसकी जीवन यात्रा का निर्धारण इनमें श्रद्धा और भक्ति के आधार पर हुआ था। मीराँ के अधिकांश जानकार भी उनके समय तक साहित्यकार या संत–भक्त–अनुयायी ही थे। ब्रजरत्नदास ने पहली बार व्यापक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में मीरां के मनुष्य संत–भक्त की पहचान की। ब्रजरत्नदास की खास बात यह है कि उन्होंने निष्ठा और मनोयोग से अपने समय में उपलब्ध सभी ऐतिहासिक और पुरालेखीय स्रोतों का उपयोग मीरां की पहचान बनाने में किया। ब्रजरत्नदास की भारतेंदु हरिश्चंद्र विषयक किताब शोध और आलोचना के लिहाज से असाधारण किताब थी। भारतेंदु के दौहित्र होने के कारण उनकी यह किताब बहुत चर्चित हुई और इस चर्चा में उनका दूसरा बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य अलक्षित रह गया। ‘मीराँ–माधुरी’ भी उनकी अलक्षित रह गई बहुत मूल्यवान् किताब है। मीरां के जीवन और समाज के विवेचन के साथ इसमें उस समय विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध 506 पद भी संकलित हैं। आशा है, इसका यह पुनर्प्रकाशन इसकी महिमा को उजागर करनेवाला सिद्ध होगा।
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
माधव हाड़ा
जन्म : मई 9, 1958
शिक्षा : पी.एच.डी., एम.ए. (हिन्दी)
संप्रति : आचार्य एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर
पुरस्कार : प्रकाशन विभाग, भारत सरकार का भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार (2012), राजस्थान साहित्य अकादमी का देवराज उपाध्याय आलोचना पुरस्कार (1990) रत्न; मौलिक पुस्तक : मुनि जिनविजय (2016), पचरंग चोला पहर सखी री मीरां का जीवन और समाज (2015), सीढ़ियाँ चढ़ता मीडिया (2012), मीडिया, साहित्य और संस्कृति (2006), कविता का पूरा दृश्य, (1992), तनी हुई रस्सी पर, (1987)
संपादित पुस्तक : मीरां रचना संचयन (2017), कथेतर (2017), स्वयं प्रकाश की लोकप्रिय कहानियाँ (2016), लय (1996)
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