- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
सिनेमा जलसाघर
‘सिनेमा जलसाघर’ बॉलीवुड की दुनिया की बेहद दिलचस्प और अन्तरंग झाँकी है। यह एक ऐसी किताब है जिसकी अन्य किताबों से तुलना नहीं की जा सकती। एक तरफ हिन्दी फिल्मोद्योग का इतिहास, सिनेमाशास्त्र तथा तकनीक और सिनेमा की विभिन्न धाराओं के बारे में गुरु-गम्भीर पुस्तकें हैं तो दूसरी तरफ सिनेमा की रुपहली दुनिया और फिल्मी सितारों के बारे में रोजाना बहुत कुछ पत्र-पत्रिकाओं में छपता रहता है जो पाठकों को गुदगुदाता भले हो, पर जिसमें प्रामाणिकता की परवाह नहीं की जाती। लेकिन ‘सिनेमा जलसाघर’, जैसा कि लेखक ने खुद भी कहा है, ‘सत्य के प्रति निष्ठावान’ रहकर लिखी गयी है। अलबत्ता यह सूचना प्रधान नहीं है, न निरी जानकारियाँ देने के इरादे से लिखी गयी है। इसमें हकीकत का बयान जरूर है मगर किस्सों के अन्दाज में। अत्यन्त रोचक। बेहद पठनीय। इस पुस्तक के लेखक जयप्रकाश चौकसे ने बॉलीवुड की दुनिया को काफी करीब से, सच तो यह है कि भीतर से देखा है। फिल्म वितरक के तौर पर अरसे से वह फिल्मोद्योग से जुड़े रहे हैं। बॉलीवुड के कलाकारों, निर्माताओं, निर्देशकों से कोई साढ़े पाँच दशक से उनका मिलना-जुलना रहा है। ढाई दशक से कुछ अधिक समय से वह सिने-जगत पर एक लोक प्रिय स्तम्भ भी लिखते आ रहे हैं। बहुत से सिने-कलाकारों को उन्होंने सितारा बनते हुए और उनकी लोकप्रिय छवियों के बरअक्स उनके उतार-चढ़ाव और उनके मानवीय गुणों तथा उनकी कमजोरियों के साथ देखा है और इसी तरह उन्हें चित्रित भी किया है। इस किताब में राज कपूर, दिलीप कुमार, देव आनन्द, अमिताभ बच्चन और मधुबाला, मीना कुमारी, नरगिस से लेकर शाहरुख खान, आमिर खान, अजय देवगन तक दो-तीन पीढ़ियों की दास्तान दर्ज है, बिना नमक-मिर्च लगाये, फिर भी इतने रोचक ढंग से कि पाठक की स्मृति में अंकित हो जाए। लेखक खुद बहुत सारी घटनाओं और प्रसंगों का चश्मदीद गवाह रहा है। प्रवाहपूर्ण शैली के साथ ही संस्मरण और अनुभव की यह पूँजी इस किताब को बहुत खास बना देती है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.