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Description
आज बाज़ार बन्द है
विश्व में आदिकाल से समाज पर सम्भोग दर्शन काबिज रहा है जिसके सामने सभी दर्शन फीके रहे हैं। भारतीय समाज और आध्यात्मिकता का दर्शन भी इससे अछूता नहीं रहा बल्कि धार्मिक परम्पराओं ने देह दर्शन की ओर भी अलौकिक तरीके से शुरुआत की है। मन्दिरों में नारी उत्पीड़न की उसी परम्परा को विकसित किया। देवदासियों से लेकर वेश्याओं की मार्मिक कथा ‘आज बाज़ार बन्द है’ है। देह व्यापार से देह उत्सव की रंगरलियों की भूल-भुलैया में फँसी दलित महिलाओं की दारुण कथा का जैसे सजीव चित्रण हुआ है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2009 |
Pulisher |
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