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धर्मयुद्ध
धर्मयुद्ध साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत राजस्थानी नाटक धरमजुद्ध का हिन्दी अनुवाद है, जिसमें डॉ अर्जुनदेव चारण के दो रंग नाटक धरमजुद्ध तथा जेठवा-ऊजली संकलित हैं। डॉ अर्जुनदेव चारण न केवल एक प्रौढ़ नाट्य लेखक हैं, बल्कि खुद एक सुलझे हुए सुविख्यात रंग-निर्देशक भी हैं। यही कारण है कि उनके ये दोनों नाटक नाट्यभाषा और रंगभाषा के विरल संतुलन को साधे हुए हैं तथा भारतीय भाषाओं के साझे रंगमंच के लिए वरेण्य कोटि के रंगालेखों के रूप में भी देखे जा सकते हैं।
इन दोनों नाटकों के केन्द्र में राजस्थान के अपने विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भों के साथ उभरा एक ऐसा नारी-विमर्श है, जो अपनी व्याप्ति में आज समग्र भारतीय भाषाओं के रचनात्मक लेखन तक आसानी से आवाजाही करने वाला तत्त्व है। इन नाटकों में स्त्री-मुक्ति अथवा स्त्री की निजी व्यक्ति-अस्मिता के प्रश्नों को वाचाल किस्म की बौद्धिक बहस के बरक्स एक गहन नाट्यानुभव और दतनुरूप निपुण कोटि के नाट्य-भाषा के तनाव के रूप में सामने रखा गया है। यही कारण है कि राजस्थानी भाषी प्रेक्षकों के अलावा इतर भाषाओं के रंग-दर्शकों ने भी इस नाट्यानुभव का सहज साक्षात्कार राजस्थान के बाहर हुई इनकी नाट्य-प्रस्तुतियों में किया है।धर्मयुद्ध
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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