Nai Sahityik Sanskritik Siddhantikiyan
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Description
नयी साहित्यिक सांस्कृतिक सिद्धान्तिकियाँ
सुधीश पचौरी की यह पुस्तक उत्तर-आधुनिकता के विभिन्न अनुषंगों जैसे भाषा विज्ञान, आलोचना शास्त्र, संस्कृति विमर्श, सामाजिक-राजनीतिक आन्दोलन और अन्ततः दर्शनशास्त्र को इस तरह देखने का प्रयास करती है कि यह सभी अनुशासन कैसे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस तरह से जुड़े हुए होने पर एक-दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं और एक नयी विश्व-दृष्टि प्रस्तावित करते हैं।
सुधीश पचौरी हिन्दी ही नहीं सम्भवतः भारत में भी उत्तर-आधुनिकता के प्रारम्भिक व्याख्याकारों में से एक रहे हैं। इस विषय पर 1996 में आयी उनकी पहली पुस्तक उत्तर-आधुनिक साहित्यिक विमर्श उत्तर-आधुनिक दर्शनशास्त्र का परिचय प्रस्तुत करती है। उत्तर-आधुनिकता के साथ मुठभेड़ करने, उसे समझने और भारतीय समाज के लिए उसकी व्याख्या प्रस्तुत करते हुए सुधीश पचौरी लगभग तीन दशकों से इस कठिन बौद्धिक काम में लगे हुए हैं। उनकी यह पुस्तक एक व्यापक फलक पर न केवल उत्तर-आधुनिकता को समझने में हमारी सहायता करती है बल्कि इसके विभिन्न उपादानों जैसे भाषा विज्ञान, संरचनावादी विमर्श, विखण्डनवाद इत्यादि की जड़ें प्राचीन काव्यशास्त्र में खोजने का प्रयास भी करती है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Publishing Year | 2022 |
Pages | |
Pulisher |
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