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Description
सिंधु-कन्या
सिंधु-कन्या इसी नाम के संस्कृत उपन्यास का हिंदी अनुवाद है। इस उपन्यास के लेखक और अनुवादक दोनों एक ही व्यक्ति हैं-श्रीनाथ श्रीपाद हसूरकर। इस उपन्यास की नायिका है सिंधु-कन्या, जो राजा दहर की बेटी है। यह बहुत ही साहसी, बुद्धिमान और देश-प्रेम से ओत-प्रोत है। यवनों और सैंधवों के बीच युद्ध में यह सैंधव सेना की प्रमुख रणनीतिकार है। यह अपने देश की कमजोरियों को बखूबी समझती है, मगर कभी हिम्मत नहीं हारती। यहाँ तक कि युद्धबंदी बनाकर दश्मिक में रखे जाने पर भी वह अपनी संपूर्ण बुद्धिमत्ता से दश्मिकाधिपति का सामना करती है और अपनी इज्ज्ञत की रक्षा भी। भारतीय राजाओं के बीच आपसी तालमेल का अभाव, साधारण जन और राजाओं के बीच हार्दिक एकता की कमी, सैंधवों के पिछड़े हथियार और युद्धनीति, आदि को युद्धभूमि में सैंधवों की हार के कारण के रूप में इस उपन्यास में बहुत ही कलात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। नायिका के जीवन का अंत बड़ा ही दुखद है – यह आत्महत्या करती है। इसकी आत्महत्या पाठक के दिलोदिमाग़ को झकझोर देती है। यह उपन्यास (मूल संस्कृत) 1984 में साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत कृति है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
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