Stri Katha-Sahitya Aur Hindi Navjagaran (1877-1930)

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Stri Katha-Sahitya Aur Hindi Navjagaran (1877-1930)

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Author: Dr. Naiya

Availability: 5 in stock

Pages: 216

Year: 2022

Binding: Hardbound

ISBN: 9789355180681

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

स्त्री कथा-साहित्य और हिन्दी नवजागरण (1877-1930)

अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रान्ति के परिणाम स्वरूप भारतीय समाज के सभी क्षेत्रों में कुछ न कुछ बदलाव हुए। हिन्दी साहित्य का क्षेत्र भी इससे अछूता न रह सका। इसके परिप्रेक्ष्य में नवजागरण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग डॉ. रामविलास शर्मा ने किया। इसमें उन्होंने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को हिन्दी नवजागरण का अग्रदूत ठहराया और इस नवजागरण के अन्य लेखकों की कृतियों का विवेचन किया।

यह किताब इस नवजागरण की अवधारणा को एक स्त्री दृष्टि से देखने की कोशिश करती है। अगर इस नज़रिये से देखें तो हमें नवजागरण की अवधारणा न सिर्फ़ पुरुष केन्द्रित बल्कि पितृसत्तात्मक भी नज़र आयेगी।

लेखिका ने हिन्दी नवजागरण युग के प्रश्नों और उन युगीन समस्याओं पर स्त्री लेखिकाओं के कार्य का गहरा अन्वेषण किया है और बहुत श्रमपूर्वक उस समय के स्त्री लेखन की पाण्डुलिपियों को ढूँढ़ निकाला है, उनका अध्ययन और विश्लेषण भी किया है।

किसी भी ऐतिहासिक कालखण्ड को अलग-अलग नजरियों से देखे जाने की ज़रूरत हमेशा होती है। यह बात हिन्दी नवजागरण काल पर भी लागू होती है। नवजागरण चाहे भाषाई हो, सांस्कृतिक हो या धार्मिक-राजनीतिक हो, वह एक सम्पूर्ण जागृति का प्रयास करती हुई परिघटना हुआ करता है। इस जागरण में स्त्री सदैव उपस्थित रहती है, भले ही कई बार उसकी उपस्थिति स्पष्ट न दिखाई दे।

इस दृष्टि से भी यह पुस्तक महत्वपूर्ण है क्योंकि इतिहास कोई जड़ अवधारणा नहीं है और जब तक इसे स्त्री की दृष्टि से नहीं देखा जायेगा तब तक इसके निष्कर्ष अधूरे ही रहेंगे। नवजागरण को स्त्री दृष्टि से देखना एक सबाल्टर्न विवेक का भी पुनर्जागरण है क्‍योंकि इतिहास सदैव वही नहीं होता जो मुख्यधारा की इतिहास दृष्टि हमें दिखाती है, बहुधा उसमें हाशिए की आवाजें और ख़ासकर स्त्री की आवाजें अनसुनी रह जाती हैं।

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Hardbound

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Language

Hindi

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2022

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