Parchhaain Naach

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Parchhaain Naach

Parchhaain Naach

295.00 235.00

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295.00 235.00

Author: Priyamvad

Availability: 4 in stock

Pages: 219

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789355183538

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

परछाई नाच

वैसे तो परछाई नाच वसन्त के चार दिनों की ही कहानी है,लेकिन इन चार दिनों के साथ ही इसमें डेढ़ सौ वर्षों का काल भी गुँधा-बुना है-इतिहास, मिथक, फैण्टसी, प्रेम, जिजीविषा, भय, संशय और तमाम आदिम भावनाओं को समेटता हुआ। परछाई नाच सत्ताओं की छाया के बीच मनुष्य के अस्तित्व के अर्थ उसके प्रश्न और संघर्ष का जीवन्त आख्यान है। इस आख्यान में मनुष्य एक इकाई की तरह अपनी सारी पीड़ा, अपने सारे रोग, सारे राग, भोग, शोक स्वप्न अपनी सारी आकांक्षाओं और अपने क्षत-विक्षत होते अस्तित्व के साथ विभिन्न चरित्रों के माध्यम से निरन्तर उपस्थित है।

 

परछाईं नाच

उन सबको जिन्होंने मेरी लिखने की कोशिशों पर बचपन से ही विश्वास किया था, और जो आज देख रहे हैं उत्सुकता और संशय से काल की उस तुला को जिसके एक पलड़े पर इस कृति के साथ उनका विश्वास भी है और जिसके काँटे की नोक भी बस, अब एक ओर झुकने ही वाली है।

खिड़की के बाहर अँधेरा शुरू हो गया था। अँधेरा अभी उतना नहीं था जितना की होता है।

अनहद ने सिर घुमाकर देखा। कान के नीचे गले की खाल जहाँ ख़त्म होती है वहाँ शेमल का मस्सा अलग से दिख रहा था। मस्से का काला रंग अभी अँधेरे का रंग नहीं हुआ था इसलिए अनहद को लगा कि अभी उतना अँधेरा नहीं है। मस्से पर एक गीली चमक रूकी थी। वह पसीना था या शायद वसन्त था। छूटा हुआ विश्रान्त सुख था या शायद अन्दर की शेष उत्तेजना थी।

शेमल ने करवट ली। पेट के बल लेट गयी वह। अनहद जानता था कि इस तरह से पेट के बल लेटकर वह क्या चाहती थी। वह बाद में हमेशा ऐसा चाहती थी। अनहद शेमल की नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा। कुछ क्षण बाद ही धीरे-धीरे टूटे असम्पृक्त शब्दोंवाली आवाज़ शेमल के मुँह से निकलने लगी। गिरती पत्ती की तरह कमज़ोर…अनिश्चित…काँपती हुई। बहुत देर तक शेमल पूरा शब्द नहीं बोल पाती थी। जो देर तक बोलता था वह उसका शिथिल आनन्द होता था, उखड़ी पपड़ीवाली कमरे की दीवारों से हवेली के पुराने खम्भों से छूटा हुआ मौन होता था, गर्म मांस की गन्ध उलीचता हुआ एक कालखण्ड होता था। यही सब बाद में अनहद के साथ रह जाता था।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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