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Description
शिवकामी की शपथ
इस वृहदाकार उपन्यास की कथावस्तु सातवीं शताब्दी के पूर्वार्ध से सम्बन्धित है। तब भारत में तीन महान् सम्राट थे। उत्तर भारत में हर्षवर्धन का साम्राज्य था, जिसकी राजधानी कान्यकुब्ज (कन्नौज) थी। नर्मदा से दक्षिण में चालुक्य-नरेश पुलिकेशी द्वितीय का साम्राज्य था, जिसकी राजधानी वातापी (आधुनिक ‘बादामी’) थी और धुर दक्षिण में पल्लवनरेश महेन्द्र वर्मा का राज्य था, जिसकी राजधानी काञ्ची थी।
उपन्यास की घटनाओं का मुख्य केन्द्रबिन्दु चालुक्य पुलिकेशी और पल्लव महेन्द्र वर्मा के मध्य छिड़ा दीर्घकालीन संघर्ष है। पुलिकेशी बड़ा महत्त्वाकांक्षी था और समस्त दक्षिणापथ का एकछत्र सम्राट् बनना चाहता था। हर्षवर्धन से निश्चित हो वह विशाल सेना लेकर दक्षिण दिग्विजय के लिए निकला और आसपास के राज्यों को जीतता हुआ काञ्ची की ओर बढ़ा। पल्लव साम्राज्य पर उसका आक्रमण 620 ई. के लगभग हुआ। यद्यप्रि उसने पल्लव साम्राज्य में भीषण तबाही मचाई, पर महेन्द्र वर्मा के युद्धकौशल के कारण साल भर घेरा डालकर भी वह काञ्ची पर अधिकार न जमा सका। इनकी मृत्यु पर इनके पुत्र मामल्ल (महामल्ल) नरसिंह वर्मा (630-688 ई.) ने राजदण्ड ग्रहण किया। पल्लव वंश के यह सबसे महान् शासक हुए। पुलिकेशी से पल्लवों के अपमान का बदला लेने के लिए इन्होंने 640-641 ई. में वातापी पर विशाल सेना के साथ आक्रमण किया। तीन दिन और तीन रात चले उस अविराम महासमर में इन्होंने चालुक्य सैन्य को ध्वस्त कर पुलिकेशी का वध किया और राजधानी वातापी को जला डाला। वहाँ अपना जयस्तम्भ स्थापित कर तथा वातापि-काण्ड (वातापी-विजेता) की उपाधि धारण कर वे काञ्ची लौट आए।
प्रस्तुत कृति का सटीक एवं विश्वसनीय अनुवाद हिन्दी और तमिल के यशस्वी विद्वान (स्व.) डॉ. रामेश्वर दयालु अग्रवाल ने किया था। वे इस ग्रन्थ को पूरी तरह प्रकाशित होते नहीं देख पाए। इस ग्रन्थ का उत्तरार्ध (अध्याय तीन और चार) पहली बार एक साथ, इस एक जिल्द में प्रकाशित है। इस महत्त्वपूर्ण कार्य में उन्होंने तमिल विद्वानों से सहायता प्राप्त की। साथ ही, उन स्थलों को भी टिप्पणियों द्वारा संपुष्ट किया, जिनका संकेत उपन्यास के मूल पाठ में है। आशा है, इस कृति से साहित्य अकादेमी की प्रकाशन योजना, जिसमें विभिन्न भारतीय भाषाओं की कालजयी कृतियों का हिन्दी समेत दूसरी भाषाओं में प्रामाणिक अनुवाद प्रकाशित करने का संकल्प किया गया है, समृद्ध होगी। ‘कल्कि’ की जन्मशती पर प्रकाशित साहित्य अकादेमी की विनम्र प्रस्तुति।
Additional information
Binding | Hardbound |
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Language | Hindi |
Publishing Year | 2001 |
Pulisher | |
Authors | |
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