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Description
आधुनिक जनसंचार और हिंदी
पूर्व कथन
आधुनिक जनसंचार एक नए विज्ञान के रूप में उभर कर सामने आया है। मानव-समाज में संचार की प्रक्रिया उसके अस्तित्व में आने के समय से ही चल रही है। संचार का अगला कदम पिछले कदम की तुलना में ‘आधुनिक’ हुआ करता है; किन्तु इधर संचार के क्षेत्र में एकाएक क्रांतिकारी परिवर्तन घटित हुए हैं।
जनसंचार में भाषा का महत्व सर्वविदित है। मनुष्य ने अपने विकास के लिए इस ‘डिवाइस’ का अन्वेषण किया। उसने वैज्ञानिक ढंग से उसकी व्यवस्था की और अन्य संचार-माध्यमों को खोजा। भाषा उन माध्यमों से जुड़ी। इससे जन-माध्यमों की शक्ति बढ़ी। आज ‘सूचना ही शक्ति है’, की अवधारणा चरितार्थ हो रही है।
ऐसी स्थिति में हिन्दी के प्रति चिन्ता बढ़ी है। यदि अत्याधुनिक जनसंचार माध्यमों में साथ-साथ हम नहीं चले, तो निश्चय ही पिछड़ जायेंगे। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी भाषा की भूमिका और विशेष रूप से हिन्दी का प्रयोग विचारणीय है। उस पर अलग से विचार होना चाहिए।
संप्रति हम आधुनिक जनसंचार के क्षेत्र में, संचार के माध्यमों का सर्वोत्तम उपयोग करने की दिशा में हिन्दी भाषा को न भूलें, इस ओर ध्यान आकर्षित करना हमारा अभीष्ट है। यह पुस्तक इसी विचार से लिखी गई है। इसमें आधुनिक जनसंचार के क्षेत्र में हिन्दी भाषा के प्रभावपूर्ण प्रयोग की कुछ दिशाएं रेखांकित की गई हैं। विश्वास है कि मेरी पूर्व पुस्तकों की भांति यह पुस्तक भी पाठकों को उपयोगी लगेगी।
मैं इस अवसर पर तक्षशिला प्रकाशन के स्वत्वाधिकारी श्री तेजसिंह विष्ट को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने बार-बार आग्रह करके मुझसे यह पुस्तक लिखा ली और कम समय में बहुत अच्छे ढंग से आपके हाथों तक पहुंचा दिया।
आपके रचनात्मक सुझावों का स्वागत है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher |
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