- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
उपहार संदेश का
पेशे से चिकित्सक और विज्ञान के विद्यार्थी रहे डॉ. संजय की कविताएँ शब्दों का मायाजाल नहीं रचती हैं बल्कि मानवीय जीवन की बुनियादी सच्चाई से अवगत कराती हैं। उनकी कविता ‘भूख’ केवल रोटी की भूख की तड़प ही नहीं बल्कि इंसान के अंतर्मन में छिपकर बैठी इच्छा, महत्वाकांक्षा, यश और वासना के भूख की भी व्याख्या करती है। वह लिखते हैं – ‘भूख चाहे वह किसी भी प्रकार की क्यों न हो/वह सुख देने वाली पीड़ा है/और हम लोग/ना चाहते हुए भी उसे चाहते हैं।’ इस कविता में भूख की अनूठी और नई व्याख्या हुई है।
– डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’,शिक्षा मंत्री, भारत सरकार
एक मेडिकल डॉक्टर की शिल्पित-अशिल्पित रचनाओं को सतर्क करना चाहता था। निश्चय ही, उनकी सूक्तिनुमां रचनाओं में मानवीय स्वर हैं, भूख के अनेक रूप हैं; रिश्तों की तल्खियाँ हैं। अभिलाषा, अनुभव और उपहार भी हैं। हँसी, कला व प्रार्थनाएँ हैं। ये रचनाएँ, पहाड़ के टेढ़े-मेढ़े रास्तों की बजाय नदी का सपाट विस्तार चाहती हैं। उनमें प्रेम, सुख-दुःख, शांति, इच्छा, विज्ञान, कला, विकास और बाल सुलभ मन है।
– डॉ. श्याम सिंह ‘शशि’ पद्मश्री से सम्मानित
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.