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Description
मुख्तसर मेरी कहानी
रज़ा का लंबा जीवन फ्रांस में साठ साल से अधिक और चौंतीस बरस भारत में बीता। वे त्रिभाषी थे : हिन्दी, फ्रेंच और अँग्रेज़ी में बोलते-लिखते थे। अपने जीवन के बारे में उनका यह वृत्त संक्षिप्त है। अपने जीवन के बारे में विस्तार से बताने का उपक्रम शायद ही उन्होंने कभी किया हो। वे जब याद करते थे तो अक्सर स्वदेश और उसके लोगों, घटनाओं, प्रसंगों की ही याद उन्हें आती थी। उनके इस आत्मवृत्त का हिन्दी में अनुवाद ‘सुशोभित’ और ‘वर्षा रानी’ द्वारा किया गया है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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