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Description
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नूह की नाव
पिछले लगभग एक दशक में हिंदी कविता में सक्षम कवियों की एक पूरी पीढ़ी सामने आई है। ये कवि अपने अपने ढंग से हिंदी कविता के पर्यावरण को जीवनधर्मी और पक्षधर बना रहे हैं। देवेश पथ सारिया भी हिंदी कविता के इस उर्वर प्रदेश के एक ऐसे नागरिक हैं जिनकी उपेक्षा करके पिछले एक दशक की हिंदी कविता पर कोई बातचीत करना किसी भी कोण से उचित नहीं होगा। देवेश के संदर्भ में सुखद यह है कि कई वर्षों से भारत के बाहर रहने के बावजूद वे भारतीयता के रंग में पूरी तरह रंगे और रचे-बसे कवि हैं। उनकी कविताओं में भारत की साँवली धरती अपने संपूर्ण वैभव के साथ उपस्थित है। इस कवि के संदर्भ में यह भी महत्त्वपूर्ण है कि यह साहित्य का परंपरागत विद्यार्थी न होकर खगील शास्त्र का अध्येता है। यही कारण है कि देवेश की भाषा में एक अतिरिक्त चमक है। उसमें आई शब्दावलियाँ एक नए ढंग का काव्य-रसायन तैयार करती हैं। इन शब्दावलियों के सहारे कविता का पाठक विषय की प्राणवस्तु के अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। देवेश पथ सारिया की कविताओं में भरपूर विविधता है। जीवन के ढेरों रंग यहाँ आपकी अपने से जोड़ते चलते हैं। विदेशों के संदर्भ भी कोई अजनबीपन पैदा नहीं करते। अतः नृह की नाव कविता-संग्रह हिंदी कविता का घनत्व बढ़ाने वाला संग्रह होगा, ऐसा विश्वास है।
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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