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Description
वा घर सबसे न्यारा
हिन्दी कवि कथाकार ध्रुव शुक्ल ने जो प्रयत्न किया है, वह मूल्यवान् और कुमार जी के बारे में अब तक जो लिखा-समझा गया है, उसमें कुछ नया, रोचक और सार्थक जोड़ता है। इस जीवनी में कुमार जी के बारे में जो पहले से जाना हुआ है उसे, जो कम या बिलकुल भी नहीं जाना हुआ है, उसे निरन्तरता में जोड़कर एक ऐसा जीवन वितान चित्रित हुआ है जिसमें कुमार जी के संघर्ष, सौन्दर्य-बोध, हर्ष और विषाद, विफलताएँ और रसिकता सभी गुँथे हुए हैं। भौतिक समय और संगीत – समय की तात्कालिकता, परम्परा के उत्खनन और नवाचार के जोखिम आदि की बहुत रोचक व्याख्याएँ यथास्थान बड़े मार्मिक ढंग से उभरती हैं । कुमार गन्धर्व की जीवन-कथा संघर्ष और लालित्य की कथा एकसाथ है—उसमें भारतीय आधुनिकता की अपनी मर्मकथा भी अन्तर्भूत है। ध्रुव शुक्ल ने यह जीवनी संवेदना, समझ और भाषा में काव्यात्मक अनुगूँजें उद्दीप्त करते हुए बहुत मनोयोग से लिखी है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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