Sahitya Ke Sarokar : Samay, Samaj Aur Samvedna

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Sahitya Ke Sarokar : Samay, Samaj Aur Samvedna

Sahitya Ke Sarokar : Samay, Samaj Aur Samvedna

595.00 445.00

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595.00 445.00

Author: Krishna Kishore

Availability: 5 in stock

Pages: 168

Year: 2023

Binding: Hardbound

ISBN: 9788119028955

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

साहित्य के सरोकार : समय समाज और संवेदना

साहित्य को त्रिकालदर्शी होना पड़ता है। उपन्यास, कहानी, कविता ऐसी जीवन्त विधाएँ हैं—जिन्हें परिभाषित करने के लिए सारे समय विस्तार को अतीत, वर्तमान, भविष्य जैसे आवरण से बाहर आकर केवल एक ही परिधान धारण करना पड़ता है, और वह है मानवीय निरन्तरता का परिधान। उस निरन्तरता से जो सरोकार पैदा होते हैं, जो संवेदनाएँ प्रस्फुटित होती हैं, इस संग्रह में उन्हें ही संचित करने और आकार देने का प्रयास रहा है। जो रचनाएँ माध्यम बनी हैं इस निरन्तरता को आकार देने का, उनका महत्त्व समयातीत है।

दैनिक जीवन की विस्तृत झाँकियाँ, दुख-सुख, किसी खास वर्ग के जीवन का घोर काला नर्क, एक सुनियोजित रूप में वर्ण या नस्ल के आधार पर दैनिक अत्याचार, आक्रमणकारियों द्वारा मूल निवासियों का सर्वनाश कोई ऐसी घटनाएँ नहीं है जिन्हें केवल ऊपरी विवरणों से, छुटपुट झलकियों से या सहानुभूतिपूर्ण दया धर्म से प्रेरित अश्रु प्रवाह से, काली-पीली शब्दों की लकीरों से बयान किया जा सके। यह काम हमारे साहित्यकारों ने इस तरह किया कि वह समय-सत्य हमेशा के लिए हमारी सोच और मानसिकता का हिस्सा बन गए। वे सभी घटनाएँ केवल उसी समय से सम्बद्ध न रहकर हमारी पीठ पर हाथ रखकर, हमारे साथ-साथ चलती हुई जीवन्त वास्तविकताएँ बन गईं।

यहाँ कुछ ऐसे रचनाकारों का जिक्र भी है जिन्होंने एक मनीषी की तरह अपने समय को प्रभावित किया। अपनी बौद्धिक शक्ति, अपने कमिटमेंट और समाज के प्रति अपनी धारणाओं को आजीवन निभाया। यह सभी रचनाकार एक तरह से सही मायने में अपने समयों के इतिहासकार भी हैं। उन समयों के अछूते अध्यायों को वे ऐसे बाँचते हैं, काली मिट्टी में दबे उन दर्दों को इस तरह हवा में उछालते हैं कि साँस लेना मुश्किल हो जाता है। इतिहास और साहित्य के संगम का यह दर्पण हमारा सारा मेकअप, सारा प्रसाधन उतार देता है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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