Anuvad Karydakshata : Bhartiya Bhashaon Ki Samasyayen

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Anuvad Karydakshata : Bhartiya Bhashaon Ki Samasyayen

Anuvad Karydakshata : Bhartiya Bhashaon Ki Samasyayen

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Author: Mahendra Nath Dubey

Availability: 5 in stock

Pages: 236

Year: 2016

Binding: Hardbound

ISBN: 9788181434654

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

अनुवाद कार्यदक्षता : भारतीय भाषाओं की समस्याएँ

स्रोत-भाषा की गति-प्रकृति, भाव-कल्प और तत्त्व को यथासंभव अक्षुण्ण रखते हुए, भाषा में ले आने का प्रयास करने के क्रम में अनुवादक केवल अपनी अनुवाद भाषा को ही समृद्ध नहीं करता, अपितु स्रोत-भाषा की कीर्ति को भी चार चाँद लगा देता है। अन्यान्य भाषाओं और भाषा-भाषियों को भी परस्पर निकट लाने का मार्ग प्रशस्त कर अनुवादक विश्वमानवता का कल्याण करते हैं।

आरम्भ में संस्कृत फिर अरबी-फारसी, ग्रीक, लैटिन, चीनी, जापानी के अनन्तर आज के विश्व में अंग्रेजी भाषा अनुवाद क्षेत्र में व्यापक भूमिका निभा रही है। इससे भारतीय भाषाओं के भी अंग्रेजी-अनुवाद को तरजीह दी जाने लगी है। किन्तु वैसी निकटता अंग्रेजी-अनुवाद से सम्भव नहीं। जैसी हिन्दी में क्योंकि भाषाओं में ध्वनि-छन्द-संरचना-दार्शनिक-वैचारिक पृष्ठभूमि तो किन्हीं में ऐतिहासिक-पौराणिक-धार्मिक सन्दर्भों और पुराकाल से चले आ रहे सौहार्द-सम्बन्धों के कारण एक-दूसरे से ग्राह्मता सुगम होती है। इसी बल पर डॉ. महेन्द्रनाथ दुबे ने जब असमिया भाषा की उत्कृष्ट रचनाओं का हिन्दी रूपान्तर किया, तो जिस तरह पिछले सौ वर्ष के अनुवाद सम्बन्धों से बांग्ला निकट आयी थी, उतनी ही निकट असमिया दस वर्षों में ही आ गयी।

‘अनुवाद-कार्यदक्षता’ की इस कृति में डॉ. दुबे की रचनाओं के अतिरिक्त जिन अन्य महानुभाव अनुवादकों की रचनाओं का संभार हुआ है, उन्होंने अपनी-अपनी भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद की जो कठिनाइयाँ गिनाई हैं, फिर उनका निदान प्रस्तुत किया है; भावी पीढ़ी निश्चय ही उससे उपकृत होगी। आज के जमाने में अनुवाद का नाम कहीं जहाँ कोने-अँतरे में पड़ा होता है तब भी इनमें से अधिकांश हिन्दीतर भाषा-भाषी विद्वानों ने हिन्दी सीखकर अपनी भाषा की मक्खन-मलाई को निष्ठापूर्वक जो हिन्दी के भण्डार में भरा, तो उनके श्रम की सार्थकता इसी से प्रत्यक्ष है कि इनमें से अधिकांश विद्वानों द्वारा अनूदित रचनाओं पर अखिल भारतीय स्तर के सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार प्रदान किये जा चुके हैं।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2016

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