Agam Bahai Dariyav

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Agam Bahai Dariyav

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599.00 449.00

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599.00 449.00

Author: Shivmurti

Availability: 5 in stock

Pages: 592

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9789395737975

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

अगम बहै दरियाव

कृषिप्रधान कहे जाने वाले देश भारत का एक आम किसान जिसके पास सौ-दो सौ बीघा जमीन, लाइसेंसी बन्दूकें-राइफलें और पुलिस-फौज में नौकरी पाए बेटे नहीं हैं, अपने दुख में अकेला और असहाय एक ऐसा जीव है, जो लगता है पूरी व्यवस्था का देनदार है। राजनीति के लिए वोट-बैंक और नौकरशाही के लिए एक दुधारू गाय।

थाने, तहसीलें, अदालतें, अमीन, पटवारी, वकील, गन्ना मिलें, आढ़ती, कर्जे और खर्चे, राजनीति और नौकरशाही, ये सब मिलकर एक ऐसा महाजाल बुनते हैं जिसके निशाने पर किसान ही होता है। यह अगम दरियाव उसी भारतीय किसान के दुखों का है, बेशक उसकी वह ताकत भी यहाँ मौजूद है जो राष्ट्रीय उपेक्षा के आखिरी सिरे पर पड़े रहने के बावजूद उसे बचाए हुए है—उसकी संस्कृति, उसकी मनुष्यता और उसका जीवट।

शिवमूर्ति हमारे समय के ग्रामीण जीवन के समर्थ किस्सागो हैं, और ‘अगम बहै दरियाव’ उनकी अनुभव-सम्पदा और कथा-कौशल का शिखर है। कल्याणी नदी के कंठ पर बसे बनकट गाँव की इस कथा में समूचे उत्तर भारत के किसानों और मजदूरों की व्यथा समोयी हुई है। इस दुनिया में सब शामिल हैं—अगड़े, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक सब। और सब इसमें बराबर के हिस्सेदार हैं। जिन्दगी के विविध रंगों, छवियों और गीत-संगीत से समृद्ध इस उपन्यास में ‘लोक’ की छटा कदम-कदम पर दृश्यमान है, और ग्रामीण जीवन की शान्त सतह के नीचे खदबदाती लोभ-लालच, प्रेम-प्यार, छल-प्रपंच और त्याग-बलिदान की धाराएँ भी जो जमाने से बहती आ रही हैं।

कथा-साहित्य में लम्बे समय से अनुपस्थित किसान को यह उपन्यास वापस एक त्रासदी-नायक के रूप में केन्द्र में लाता है। देश के नीति-नियंता चाहें तो इस आख्यान को एक ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ की तरह भी पढ़ सकते हैं।

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Authors

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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