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Description
सिकन्दर
“पुरु ! मैं समझता था तू बहादुर है, तू दिलेर है, तू शरीफ़ है। लेकिन आज मालूम हुआ, तू इससे भी बड़ा है। तू देवता है, तुझ जैसे आदमी दुनिया में रोज़-रोज़ नहीं आते। कभी-कभी आते हैं और दुनिया के सामने एक मिसाल रखकर चले जाते हैं। तुझे दुनिया सलाम करेगी।”
आख़िर ऐसा क्या हुआ कि सिकन्दर को राजा पुरु से यह कहना पड़ा? विश्व के सबसे महान योद्धा, सिकन्दर, हिन्दुस्तान पर चढ़ाई कर उसे अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाने आया था। इसी के चलते उसका सामना राजा पुरु से होता है । दोनों में भीषण युद्ध के बीच अचानक कुछ ऐसा घटित होता है कि पुरु के प्रति शत्रुता की भावना रखने वाला सिकन्दर अब उसके लिये यह कहता है…पढ़िए सुदर्शन के लिखे इस नाटक में।
सुदर्शन अपने समय के अत्यन्त लोकप्रिय कहानीकार तथा नाटककार थे। उनकी रचनाएँ जनता में अत्यंत प्रिय हुईं और खूब सराही गईं। प्रस्तुत नाटक अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से विश्व इतिहास के एक महान अभिनेता का चरित्र प्रस्तुत करता है। यह रोचक होने के साथ-साथ स्फूर्तिप्रद और बोधक भी है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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