Ashwarohi
Ashwarohi
₹200.00 ₹160.00
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Author: Swadesh Deepak
Pages: 108
Year: 2024
Binding: Paperback
ISBN: 9789357759687
Language: Hindi
Publisher: Vani Prakashan
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Description
अश्वारोही
उस मकान की खिड़कियाँ बाहर की ओर खुलती थीं। नीचे की घाटी इतनी मोहक थी कि जी चाहता था, उसी क्षण नीचे छलाँग लगाकर आत्महत्या कर ली जाये। लॉन में लेटी पीले जार्जेट के पल्ले-सी धूप… मैं, प्रोफेसर शर्मा की बात नहीं मानती, मांस के दरिया में यथार्थ होगा, मुझे तो ‘नील झील’ पसन्द है, जहाँ पक्षियों को मारना मना है। आकाश से बमवर्षक विमान की तरह नीचे डाइव करता जलपाँखी…फल काटने वाले चाकू । अभी सफेद चमकदार, अभी रक्तस्नात अंगारे-सी दहकती अम्मा के माथे की बिन्दी, गले में अजगर-सी सरकती काले पत्थरों की माला…हाँ, मैं तो भूल ही गयी, इस नये प्रिंट की साड़ी मुझे आज ही लेनी है। सिन्दूरी रंग का सनमाइका टेबल बनवाना है। श्वेत घोड़े पर सवार होकर अन्धड़ गति से वह अश्वारोही आख़िर चला ही गया…क्या मैं उसकी गति को बाँध पाती? सबावाला की पेंटिंग में दूसरा अश्वारोही बाहर निकलकर अब तक अवश्य मरुस्थल में खो गया। इतने चाहने पर भी सुकान्त का चेहरा याद क्यों नहीं आता? लॉन पर लेटी धूप… पागल कुत्ते की तरह शीशे पर सिर पटकती पेड़ की टहनी… बर्फ का अपार विस्तार… अशोक वृक्ष के नीचे सोया श्वेत चीता… विदा का वह क्षण… मृत फूलों को ज़ोर-ज़ोर से हिला रहा सुकान्त, मछलीघर में मरी हुई सुनहरी मछलियाँ और फिर इन सारे कटे हुए दृश्यों का मरुस्थल में खो जाना, बाहर को खुलती दरवाज़े जितनी खिड़की…काली घाटी… काली झील… श्वेत तना हुआ अश्व। अशोक वृक्ष… श्वेत चीता, जलपाँखी, अम्मा औ…र सु…का…त… ।
–‘अश्वारोही’ कहानी से
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
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