Asambhav Ke Viruddh

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Asambhav Ke Viruddh

Asambhav Ke Viruddh

295.00 235.00

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Author: Prakash Devkulish

Availability: 5 in stock

Pages: 128

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789357754989

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

असम्भव के विरुद्ध

हिन्दी के प्रख्यात कवि श्री प्रकाश देवकुलिश की कविताओं का यह संग्रह जीवन की अनेकानेक छवियों, स्थितियों और भंगिमाओं से समृद्ध है। नितान्त निजी, ललित भावनाओं से लेकर बेहद बेधक राजनैतिक कविताओं तक जीवन के बहुत बड़े भाग को आयत्त करतीं ये कविताएँ समकालीन हिन्दी कविता को एक नया विन्यास देती हैं। माँ पर लिखीं कविताएँ तो विरल हैं जो अपनी संवेदन-त्वरा से पाठक को विचलित कर देती हैं। देवकुलिश जी सूक्ष्म अनुभूतियों को भी संग्रहीत करते हैं और बहुत निपुणता से अभिव्यक्त करते हैं। ऐसी ही एक कविता काँच के बर्तन के टूटने पर है जो अनेक अर्थ छवियों को समाहित करती है। कुछ बहुत ही मर्मस्पशी कविताएँ कामगार स्त्रियों के जीवन पर भी हैं। ऐसे चित्र अभी के लेखन में दुर्लभ हैं जहाँ कामगारों के संघर्ष, उल्लास और जीवट एक साथ उपस्थित हों। देवकुलिश जी ने बड़े अपनपौ से श्रमिक जीवन को अंकित किया है। साथ ही, मानव सम्बन्धों के अनेकानेक स्तरों का उद्घाटन भी करने का यत्न करते हैं।

प्रकाश देवकुलिश की भाषा भी सहज सम्प्रेष्य है। बोलचाल की भाषा और बहुधा गद्य में लिखी गयीं ये कविताएँ कवि की आन्तरिक भाव-लय को तीव्रता से प्रकट करती हैं। बिम्ब कम हैं, पर मुखर हैं और सटीक हैं।

देवकुलिश एक प्रतिबद्ध और प्रतिरोधी कवि हैं। ऐसी नैतिक संवेदना, ईमानदारी और स्पष्टता निश्चय ही रेखांकन योग्य है जो उन्हें विशिष्टता प्रदान करती है।

आशा है सहृदय पाठक इन कविताओं का स्वागत करेंगे। यह भी आशा है कि भविष्य में कवि से हमें अधिक परिपक्व और श्रेष्ठतर कविताओं का कोष प्राप्त होगा । अस्तु ।

– अरुण कमल

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Paperback

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Language

Hindi

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Publishing Year

2024

Pulisher

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