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Description
सृजनात्मकता के आयाम : स्वयं प्रकाश
अपनी कहानियों की तरह इस किताब में भी वे मनुष्यों में खलनायक नहीं देखते बल्कि उन स्थितियों–नीतियों और राजनीति को समझने की कोशिश करते हैं जो मनुष्य विरोधी है और जिसके कारण कुछ लोग मनुष्यद्रोही आचरण करते हैं। पूछने पर वे मुस्कराते हुए कहते थे कि मुझे तो कोई आदमी खराब लगता ही नहीं तो खलनायक कहाँ से लाऊँ ? ऐसे ही जादुई यथार्थवाद सरीखे मुहावरे उन्हें कभी आकृष्ट नहीं करते थे और उनका फिर उत्तर होता था जिस देश में अठारह पुराण लिखे गए हों, जहाँ पेड़ गाते हों और पहाड़ नाचते हों वहाँ जादुई यथार्थवाद का क्या अर्थ है ? यह उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता का प्रस्फुटन नहीं था बल्कि साधारण में अटूट विश्वास की सहज उद्घोषणा थी जो सोवियत विघटन के बावजूद बनी हुई थी। बच्चों के लिए लिखने की उनकी मंशा का आधार भी यही था कि वे बच्चों को बच्चा न मानकर उन्हें नन्हा नागरिक या जूनियर सिटीजन मानते थे। उनका कहना था कि उपदेश देकर बाल साहित्य की रचना करना निरर्थक है और तभी उनकी कलम से सर्वथा नये किस्म के बाल साहित्य की रचना हुई जो शिक्षा नहीं देता, ज्ञान नहीं बाँटता और आज्ञाकारी नहीं बनाता। उनका बाल साहित्य पाठकों में उत्सुकता जगाता है, प्रश्नाकुलता को बढ़ावा देता है और जीवन स्थितियों के प्रति संवेदनशील ढंग से समझने की दृष्टि देता है। ‘प्यारे भाई रामसहाय’ के बाद ‘सप्पू के दोस्त’ और ‘हाँजी नाजी’ शीर्षक से उनकी दो किताबें और आईं। लेखन के अलावा उन्हें अपने पत्रों के लिए भी याद किया जा सकता है।
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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