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तसव्वुफ़ अथवा सूफीमत
चन्द्रबली पांडेय की ‘तसव्वुफ़ अथवा सूफीमत’ पुस्तक हिंदी में सूफीमत का पहला क्रमबद्ध अध्ययन है। लेखक ने इस पुस्तक को ग्यारह प्रकरणों एवं दो परिशिष्ट में विभाजित किया है। इस पुस्तक में लेखक ने सूफीमत का उद्भव, विकास, परिपाक, आस्था, साधन, प्रतीक, भावना, अध्यात्म, साहित्य, ह्रास, भविष्य तथा परिशिष्ट में ‘तसव्वुफ़ का प्रभाव’ तथा ‘तसव्वुफ़ पर भारत का प्रभाव’ इन तमाम पहलुओं का बहुत ही गहन विश्लेषण किया है। किन्तु लेखक ने जहाँ ईरान और अरब के सूफीमत पर जिस तरह विस्तार से विचार किया है उस तरह भारतीय सूफीमत पर नहीं लिखा है। इसका कारण यह रहा कि चूंकि लेखक का मूल उद्देश्य था सूफीमत के उद्गम स्थलों पर शोध करना। सूफीमत का उद्भव ही ईरान और अरब में हुआ था। सूफीमत की यात्रा के मुख्य तीन प्रस्थान बिंदु हैं (1) अरब (2) ईरान (3) भारत।
भारत में सूफीमत का आगमन 9वीं. 10वीं शताब्दी में ही हो चुका था। सूफीमत का भारत में प्रचार–प्रसार का श्रेय ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती को जाता है। मध्य एशिया के सूफी संतों में गज्जाली, जल्लालुद्दीन रूमी और सादी के नाम भी महत्वपूर्ण हैं। वहीं राबिया अल–बसरी और मंसूर अल–हल्लाज भी प्रमुख सूफी संत हुए। सूफीमत में ईश्वर को निराकार एवं सर्वव्यापी माना जाता है। इसके मूल में प्रेमतत्व है। सूफीमत में इश्क हकीकी एवं इश्क मजाजी की भावना समाहित होती है। इनका मूल उद्देश्य इश्क मजाजी को इश्क हकीकी में बदलना होता था। भारत में सूफी कवियों ने फारसी मसनवी शैली में न लिखकर भारतीय परंपरा को अपनाया। आगे चलकर भारत में सूफी संतों की एक महान् परम्परा विकसित हुई। ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती, कुतुबद्दीन बख्तियार काकी, बाबा फरीद, निजामुद्दीन औलिया, अमीर खुसरो तथा बुल्ले शाह आदि प्रमुख सूफी और संत कवि संत हुए।
– वरुण भारती
Additional information
Authors | |
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ISBN | |
Binding | Paperback |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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