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Description
पवनपुत्र
‘‘इस औपन्यासिक कृति को लिखते समय प्रयास यह रहा है कि इसके माध्यम से वह सब कुछ कह दिया जाए जो अब तक पवनपुत्र हनुमान के संबंध में कहीं-न-कहीं कहा जा चुका है। इस पुस्तक के पढ़ने के बाद हनुमान के संबंध में—कम-से-कम उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के संबंध में—और कुछ पढ़ने को नहीं रह जाए।
इस पुस्तक का लक्ष्य हनुमान के देवत्व की पुनर्स्थापना है। यह सही है कि उनके व्यक्तित्व के बहुत से अविश्वसनीय-से प्रतीत होते पक्षों को विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया गया है, पर यह एक सीमा तक ही हुआ है। लक्ष्य यहां पाठक की तर्कशील बुद्धि को संतुष्ट करना नहीं बल्कि एक पौराणिक पात्र को यथासाध्य पाठकों के समीप लाना और उसके चरित्र के अनुद्घटित पक्षों को उद्घाटित करना है।’’
देश में महाबली हनुमान के मंदिर बिखरे पड़े हैं और सभी भारतीय हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं परन्तु कितने हैं जो उनके जीवन तथा इतिहास से जरा भी परिचित हैं। यह उपन्यास उनके जीवन को बहुत विस्तार से प्रस्तुत करता है और इसमें वह सब कुछ उपलब्ध है जो हनुमानजी के सम्बन्ध में किसी भी धर्मग्रन्थ में लिखा गया है। अपने विषय का अकेला आदि से अन्त तक पठनीय उपन्यास।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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