Jhansi Ki Rani Laxmibai

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Jhansi Ki Rani Laxmibai

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Author: Pratibha Ranade

Availability: 5 in stock

Pages: 223

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788123753638

Language: Hindi

Publisher: National Book Trust

Description

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई

‘मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी’ की साफ और गूंजती हुई आवाज में गर्जना करने वाली झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई साधारण मां-बाप की लड़की थी। लेकिन अपने शौर्य, अपनी बुद्धि और अपने अद्वितीय कौशल से 1857 के स्वतंत्रता समर में प्रकाशनमान नक्षत्रों में प्रमुख, प्रेरणा की अक्षय स्रोत रही। किसी भी महान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए बलिदान और कष्ट उठाने पड़ते हैं। राष्ट्र के जीवित रखने के लिए मनुष्य को अपनी बलि चढ़ानी ही पड़ती है। यह हम सबका सौभाग्य है कि रानी लक्ष्मीबाई ने इसी भारत भूमि पर जन्म लिया था। नियति ने उसे राजा की रानी बनाया, अल्पायु में विधवा भी बना दिया, लेकिन उसने नियति को चुनौती दी और अपने समय की सामाजिक रूढ़ियों, परंपराओं का बड़ी बुद्धिमानी से सामना करते हुए भारतीय नारीत्व का एक नया रूप प्रस्तुत किया।

अंग्रेज सेनापतियों ने भी रानी की वीरता का लोहा माना था। जनरल ह्यूरोज ने उसे एक बहादुर और उत्कृष्ट सेनानी बताया था। लोकमान्य तिलक ने कहा था कि हमारे बीच ऐसा अद्वितीय स्त्री-रत्न पैदा हुआ, इसका हमें अभिमान है। सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा था – ‘बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।’ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी फौज में रानी झाँसी रेजीमेंट के नाम से महिलाओं की एक सेना का गठन किया था। रियासतों का खात्मा करने के कंपनी सरकार के षड्यंत्र तथा 1854 में अंग्रेज सरकार की दोगली नीति को पहचान कर उनका विरोध करने वाली वह भारतीय रियासत की रानी साबित हुई। प्रस्तुत पुस्तक में झाँसी की रानी के बहुआयामी व्यक्तित्व की कई अप्रकाशित घटनाओं और जीवन-मूल्यों से परिचय कराया गया है।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

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Pulisher

Publishing Year

2023

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