Loktantra Ke Paharua
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लोकतन्त्र के पहरुआ
मैंने जीवन पर्यन्त अपनी इच्छाओं को सीमित रखा। मैं मर्यादा को अपने लिए लक्ष्मण रेखा मानता हूँ। मुझसे इसका उल्लंघन सम्भव नहीं है और साधन के प्रति मेरा कोई आकर्षण नहीं रहा। जीवन में कई मौक़े आये, लेकिन मैंने उन्हें ठुकराया। मैंने जीवन को पवित्रता से जीया है, इसका मुझे सन्तोष है।
अब कुछ भी शेष नहीं है। उम्र और स्वास्थ्य भी एक सच है। अब तक जो कुछ मिला है, उससे पूर्णरूपेण सन्तुष्ट हूँ। आज मैं बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं हूँ। बावजूद इसके अपना सम्पूर्ण देने के लिए तैयार हूँ। हमारी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैं भी और अधिक देना चाहता हूँ, लेकिन क्या करूँ ? जीवन के अन्तिम क्षण तक पार्टी और आम जन के लिए सेवा करूँगा।
– इसी पुस्तक से
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2024 |
Pulisher |
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