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Description
अनदेखे अनजान पुल
भूरे लोगों के इस भारतीय समाज में स्त्री को कई अपमानजनक परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। विवाह की पहली शर्त है-उसका गोरा होना। लड़की यदि काली, कुरूप हुई तो अस्वीकार का कोड़ा लहराने लगता है। क्या काली लड़की को सपने देखने का हक नहीं है ? इस उपन्यास की नायिका निन्नी कालापन और कुरूपता के बावजूद सपनो में निकट के सागर को देखती है, लेकिन निन्नी के छूते ही सपने में बनी बर्फ की मूर्ति गल जाती है। जबकि दूर का और लगभग अनजाने दर्शन द्वारा समानता और स्नेह से दिया गया चुम्बन एक पुल बन जाता है। प्रख्यात कथाकार का यह उपन्यास स्त्री-जीवन को समानता की गरिमा देने पर बल देता है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2012 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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