Drishy Alekh

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Drishy Alekh

Drishy Alekh

90.00 70.00

In stock

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Author: Nandkishore Naval

Availability: 5 in stock

Pages: 146

Year: 1995

Binding: Hardbound

ISBN: 0

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

दृश्यालेख

‘दृश्यालेख’ सुपरिचित आलोचक प्रो. नन्दकिशोर नवल के लेखों का नवीनतम संग्रह है। इसमें तेरह लेख हैं, जो आलोचना से सम्बन्धित हैं। सारे लेख मिलकर समकालीन हिन्दी आलोचना के परिदृश्य को, उसके अनेक आयामों के साथ, हमारे सामने उपस्थित करते हैं।

नवल जी ने पुराने आलोचकों को भी लिया है और नये आलोचकों को भी। उन्होंने जहाँ पेशेवर आलोचकों की आलोचना को अपने विचार का विषय बनाया है, वहीं रचनाकार आलोचकों की आलोचना को भी समकालीन आलोचना को गति और स्पन्दन प्रदान करने में इन सभी आलोचकों का योगदान है। आचार्य शुक्ल पर तीन लेख संगृहीत हैं, जिनमें से ‘राजनीतिक आन्दोलन और आचार्य शुक्ल’ विशेष महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह कदाचित् पहली बार उनकी आलोचना की पार्श्वभूमि से हमारा परिचय कराता है। इसी तरह ‘इतिहास विरोध की दयनीय परिणति’ शीर्षक लेख, जो निर्मल वर्मा पर लिखा गया है, समकालीन आलोचना में चलनेवाले वैचारिक संघर्ष का दस्तावेज़ है। प्रसाद, राहुल सांकृत्यायन, दिनकर, रामविलास शर्मा, नेमिचन्द्र जैन और अशोक वाजपेयी पर लिखे गये लेख भी दिलचस्प हैं और हिन्दी आलोचना के किसी न किसी अदृष्ट पक्ष पर प्रकाश डालते हैं।

हिन्दी आलोचना में चमचमाता हुआ वाग्जाल फैलता ही जा रहा है। ऐसी स्थिति में यदि नवल जी ने अपने आलोचनात्मक लेखन में स्पष्टता और छद्महीनता को महत्त्व दिया है, तो वह स्वाभाविक है। विवेक के साथ आस्वादकता उनका आदर्श रहा है। इन गुणों ने निश्चय ही ‘दृश्यालेख’ में संकलित उनके लेखों को आकर्षक बना दिया है। उन्हें पढ़ने से पाठक वैचारिक स्फूर्ति का अनुभव करेंगे, यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

1995

Pulisher

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