- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
कवियों के पत्र
हमारे समय के बड़े आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा ने जहाँ इतिहास को कला-संस्कृति इतिहास को देखने की नयी दृष्टि प्रदान की, वहीं हिन्दी लेखन की कई पीढ़ियों के साहित्य को गहरे प्रभावित किया। आलोचना में तो उनके योगदान से शायद ही कोई अपरिचित है।
तमाम सहमति-असहमति के बावजूद, ख़ासकर आधुनिक कवि इस महान् आलोचक से प्रेरणा ग्रहण करते रहे हैं। पक्ष या प्रतिपक्ष में ही सही रामविलास जी से उनके आत्मीय और घनिष्ठ सम्बन्ध इस तथ्य को प्रकट करते हैं।
रामविलास शर्मा को लिखे कवियों के पत्र इस सच का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि कवियों पर उनकी बात का असर कितना गहरा पड़ा है। बिना किसी पूर्वागृह के अपनी बात रखने की यह आलोचनाशैली पहले भी अपना उदाहरण स्वयं थी। अब तो ख़ैर कहीं और उसका शतांश मिलना भी विरल है।
यह पत्र साहित्य जहाँ पत्र लेखन जैसी गौण साहित्य-विधा को महत्त्व देता है वहीं दूसरी ओर यह सूत्र भी थमाता है कि लेखकों के पत्रोत्तर दरअसल साहित्य के इतिहास के लिए प्रामाणिक स्रोत हैं।
लेखन के पर्यावरण, लेखकों के परस्पर सम्बन्ध और उनकी रचनात्मक जिजीविषा का पता भी पत्रों से बेहतर और कोई नहीं दे सकता। आचार-व्यवहार में आमतौर पर कम खुलनेवाले लेखक भी पत्रों में अपने आन्तरिक सच को बेलाग व्यक्त कर देते हैं। रामविलास जी की विश भूमिका के साथ ही कवियों को लिखे उनके पत्र इस किताब के अन्य उल्लेखनीय पक्ष हैं।
लेखकों की पारिवारिक-सामाजिक भूमिका के साथ ही उनके व्यक्तित्व के अनेक अनखुले पृष्ठ भी यह किताब खोलती है। इस नज़र आलोचना की नयी प्रविधि भी प्रस्तुत होती है।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2012 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.