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Description
सूखा पत्ता
वर्ष 1959 में प्रकाशित सूखा पत्ता को अमरकांत की ही नहीं, बल्कि उस दौर में लिखे गए समूचे उपन्यास-साहित्य की एक विशिष्ट उपलब्धि माना जाता है। आजादी से पहले के पूर्वी उत्तर प्रदेश का कस्बाई परिवेश और इसके किशोर कथा-नायक कृष्ण का चित्रण यहाँ असाधारण रूप में हुआ है। कृष्ण के मित्र मनमोहन के रूप में किशोरावस्था की मानसिक विकृतियों, कृष्ण के ‘क्रातिकारी’ रूझान के बहाने अपरिपक्व युवा मानस की कमजोरियों और कृष्ण-उर्मिला-प्रेमकथा के सहारे समाज की मानव-विरोधी रूढ़ परम्पराओं पर तीखा प्रहार इस उपन्यास में किया गया है। कोशोर वय से युवावस्था में प्रवेश करते छात्र-जीवन की अनुभव-विविधता के बीच अनायास जुड़ गए क्रिसन-उर्मिला प्रसंग को लेखक ने जिस सूक्षमता और विस्तार से उकेरा है, उसकी ताजगी, सहजता और सादगी हिंदी कथा-साहित्य की बेजोड़ उपलब्धि है।
इस प्रणय-गाथा की पवित्र और गहन आत्मीय सुगंध मन में कहीं गहरे पैठ जाती है; और साथ ही यह तकलीफ भी कि सामाजिक रूढ़ियों की दीवार आखिर कब तक दो युवा-हृदयों के बीच उठाई जाती रहेगी ?
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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