- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
राष्ट्रभाषा हिन्दी
इस पुस्तक में राहुल जी के भाषा-सम्बन्धी कुछ महत्त्वपूर्ण लेखों और भाषणों को संकलित किया गया है, जिनमें उन्होंने सामान्यत: भारत की भाषा-समस्या और विशेषत: हिन्दी पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
कहने की ज़रूरत नहीं कि भाषा-सम्बन्धी जो सवाल पचास साल पहले हमारे सामने थे, वे कमोबेश आज भी जस के तस हैं, बल्कि कुछ ज़्यादा ही उग्र हुए हैं। मसलन अंग्रेज़ी का मसला, जिसने व्यवहार में राष्ट्रभाषा हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं को दूसरे-तीसरे दर्जे पर पहुँचा दिया है। इसके अलावा वैज्ञानिक और पारिभाषिक शब्दावली की समस्या है, जिस पर अभी भी काफ़ी काम किए जाने की ज़रूरत है। राहुल जी इन निबन्धों में इन सभी बिन्दुओं पर गहराई और अधिकार के साथ विचार करते हैं। हिन्दी को राष्ट्रभाषा के पद पर स्थापित करने की पैरवी करते हुए वे अन्य भारतीय भाषाओं को भी उनका उचित और सम्मानित स्थान दिए जाने की ज़रूरत महसूस करते हैं। उनका सुझाव है कि हरेक बालक-बालिका को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए, और सारे देश में जहाँ भी निर्धारित अल्पमत संख्या में विद्यार्थी मिलें, वहाँ उनके लिए अपनी भाषा के स्कूल खोलने चाहिए।
इसके अलावा हिन्दी की संरचना, विकास, साहित्य और इतिहास आदि अनेक पहलुओं पर राहुल जी के स्पष्ट विचार इन निबन्धों में संकलित हैं।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.