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Description
सीधा-सादा रास्ता भगवतीचरण वर्मा के चर्चित उपन्यास ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ की उत्तर-कथा है। इस उपन्यास के पात्र, परिस्थितियाँ, सामाजिक व्यवहार, घर, सम्पत्ति और भूगोल सब वही हैं जो ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ के हैं लेकिन ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ की कहानी सीधा-सादा रास्ता के पात्रों का मात्र अतीत है। इस तरह सीधा-सादा रास्ता ‘टेढ़े-मेढ़े रास्ते’ के आगे की कहानी है। रांगेय राघव को भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास में वर्णित पात्रों, परिस्थितियों और विचारों में कुछ विकृतियाँ नजर आईं इसलिए उन्होंने उन्हीं पात्रों और परिस्थितियों के आधार पर इस उपन्यास की रचना की।
हिन्दी साहित्य के दो दिग्गजों के वैचारिक संघर्ष का प्रतिफलन यह उपन्यास पढ़ना अपने आपमें एक दिलचस्प अनुभव से गुजरने जैसा है। प्रस्तुत उपन्यास के लेखक रांगेय राघव के ही शब्दों में, ‘‘जैसा जो वर्माजी का पात्र है, उसको मैंने वैसा ही लिया है, पर वर्मा जी ने चित्र का एक पहलू दिखाया है, मैंने दूसरा भी।’’
यह उपन्यास इस तथ्य की पुष्टि करता है कि ‘देश और काल के बिना कुछ भी सीधा…सादा…रास्ता नहीं है।’ अपनी रौ में बहा ले जानेवाली भाषा, अनूठे शिल्प और जबर्दस्त अन्तर्वस्तु के कारण यह उपन्यास पाठकों के रचनात्मक सोच को नया आयाम प्रदान करेगी, ऐसी आशा है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2018 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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