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Description
मेरा कुछ सामान
बहुत छोटी-छोटी बातें होती हैं-रोटी, तवा, धुआँ, पत्ती, कोहरा या पानी की एक बूँद। लेकिन उनके बड़ेपन की तरफ कोई हमें ले जाता है, तो हम अनायास ही एक तल से ऊपर उठ जाते हैं, नितांत निर्मल होते हुए। गुलज़ार की शायरी इसी निर्मलता की तलाश की एक कोशिश जान पड़ती है। वे बहुत मामूली चीजों में बहुत खास तरह से अभिव्यक्त होते हैं। उदासी, खुशी या मिलन-बिछोह अथवा बचपन…लगभग सभी नितांत निजी इन स्पर्शों को वे शब्दों के जरिये मन से मन में स्थानांतरित करने की क्षमता रखते हैं। एक विशेष प्रकार की रूमानियत के बावजूद ये विराग में जाकर अपना उत्कर्ष पाते हैं। इसलिए उदास भी होते हैं तो अगरबत्ती की तरह ताकि जलें भी तो एक खुशबू दे सकें औरों के लिए।
गुलज़ार की यह सारी मौलिकता और अपनापन इसलिए भी और-और महत्त्वपूर्ण जान पड़ता है क्योंकि वे अपनी संवेदनशीलता और शब्द फिल्मों से लेकर आए हैं। बेशुमार दौलत और शोहरत की व्यावसायिक चकाचौंध में जहाँ लोकप्रियता का अपना पैमाना है, वहां साहित्य की संवेदनात्मक, मार्मिक तथा मानव हृदय से जुड़े हर्ष-विषाद की जैसी काव्यात्मक अभिव्यक्ति गुलज़ार के हाथों हुई, वह अपने आप में एक अद्वितीयता का प्रतीक बन गई है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2016 |
Pulisher | |
Language | Hindi |
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