Nirja

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Author: Mahadevi Verma

Availability: 5 in stock

Pages: 94

Year: 2020

Binding: Paperback

ISBN: 9788180313004

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

‘नीरजा’ में बिलकुल परिपक्व भाषा में एक समर्थ कवि बड़े अधिकार के साथ और बड़े सहज भाव से अपनी बात कहता है। महादेवी जी के अनुसार ‘नीरजा’ में जाकर गीति का तत्त्व आ गया मुझमें और मैंने मानों दिशा भी पा ली है।

1 प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर ! 1
2 धीरे धीरे उतर क्षितिज से 2
3 पुलक पुलक उर, सिहर सिहर तन 4
4 तुम्हें बाँध पाती सपने में 6
5 आज क्यों तेरी वीणा मौन 7
6 श्रृंगार कर ले री सजनि ! 8
7 कौन तुम मेरे हृदय में 9
8 ओ पागल संसार 11
9 विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात 13
10 बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ ! 14
11 रूपसि तेरा घन-केश-पाश 15
12 तुम मुझमें प्रिय ! फिर परिचय क्या’? 17
13 बताता जा रे अभिमानी 19
14 मधुर मधुर मेरे दीपक जल ! 20
15 दुम के अंत हरित कोमलतम 21
16 मुखर पिक हौले बोल 23
17 पथ देख बिता दी रैन 25
18 मेरे हँसते अधर नहीं जग 27
19 इस जादूगरनी वीणा पर 29
20 घन बनूँ वर दो मुझे प्रिय ! 31
21 आ मेरी चिर मिलन यामिनी 32
22 जग ओ मुरली की मतवाली ! 34
23 कैसे संदेश प्रिय पहुँचाती ! 36
24 मैं बनी मधुमास आली! 38
25 मैं मतवाली इधर, उधर प्रिय मेरा अलबेला सा है 39
26 तुमको क्या देखूँ चिर नूतन 41
27 प्रिय गया है लौट रात ! 43
28 एक बार आओ इस पथ से 44
29 क्यों जग कहता मतवाली 45
30 जाने किसकी स्मित रूम झूम 47
31 तेरी सुधि बिन क्षण क्षण सूना ! 49
32 टूट गया वह दर्पण निर्मम ! 51
33 प्रिय ! जिसने दुख पाला हो ! 54
34 दीपक में पतंग जलता क्यों ? 55
35 ओ विभावरी ! 56
36 आँसू का मील न लूँगी मैं ! 56
37 कमलदल पर किरण-अंकित 57
38 प्रिय ! मैं हूँ एक पहेली भी ! 59
39 क्या नयी मेरी कहानी ! 60
40 मधुबेला है आज 62
41 यह पतझर मधुवन भी हो ! 63
42 मुस्काता संकेत भरा नभ 65
43 झरते नित लोचन मेरे हों ! 67
44 लाये कौन सँदेश नये घन ! 69
45 कहता जग दुख को प्यार न कर ! 71
46 मत अरुण घूँघट खोल री ! 73
47 जग करुण करुण मैं मधुर मधुर ! 75
48 प्राणपिक प्रिय-नाम रे कह ! 76
49 तुम दुख बन इस पथ से आना ! 78
50 अलि वरदान मेरे नयन ! 80
51 दूर घर मैं पथ से अनजान 82
52 क्या पूजन क्या अर्चन रे ? 84
53 प्रिय सुधि भूले री मैं पथ भूली 85
54 जाग बेसुध जाग 86
55 लयगीत मदिर, गति ताल अमर 87
56 उर तिमिरमय घर तिमिरमय 90
57 तुम सो जाओ मैं गाऊँ ? 91
58 जागो बेसुध रात नहीं यह ! 93
59 केवल जीवन का क्षण मेरे ! 94

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Paperback

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Publishing Year

2020

Pulisher

Language

Hindi

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