Yama

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Author: Mahadevi Verma

Availability: 4 in stock

Pages: 105

Year: 2011

Binding: Paperback

ISBN: 9788180311222

Language: Hindi

Publisher: Lokbharti Prakashan

Description

यामा
यामा – महादेवी वर्मा प्रस्तुत पुस्तक यामा में महादेवी की काव्य यात्रा के चार आयाम संगृहीत हैं, नीहार, रश्मि, नीरजा तथा सांध्यगीत जो भाव और चिंतन जगत की क्रमबद्धता के कारण महत्त्वपूर्ण हैं। प्रत्येक आयाम में नवीनता तथा विशिष्टता का परिचय दिया गया है फिर भी अपेक्षाकृत मानवीकरण एवं प्रतेकत्मकता पर बल दिया गया है। प्रकृति के स्थूल सौंदर्य में भी प्रायः महादेवी ने मानवीय भावनाओं व क्रिया-कलापों का साक्षात्कार किया।

विषय-क्रम

 

1 नीहार 1 Se 24
2 प्रथम यामः 1
3 निशा को, धो देता राकेश 3
4 मैं अन्नत पथ में लिखती जो 4
5 निश्वासों का नीड़ 6
6 वे मुस्काते फूल, नहीं 7
7 घायल मन लेकर सो जाती 8
8 जिन नयनों का विपुल नीलिमा 9
9 छाया की आँखमिचौनी 11
10 घोर तम छाया चारों ओर 13
11 जो मुखरित कर जाती थी था काली के रूप 14
12 इस एक बूँद आँसू में 16
13 स्वर्ग का था नीरव 17
14 गिरा जब हो जाती 20
15 मधुरिमा के, मधुके अवतार 22
16 जो तुम आ जाते एक बार 24
रश्मि
17 द्वितीय यामः 25-54
18 चुभते ही तेरा 25
19 रजत रश्मियों की 27
20 किन उपकरणों का दीपक 29
21 कुमुद दल से वेदना 30
22 स्मित तुम्हारी से 32
23 दिया क्यों जीवन का 34
24 कह दे माँ 35
25 तुम हो विधु के 37
26 न थे जब परिवर्तन 42
27 अलि कैसे उनको पाऊँ 45
28 अश्रु ने सीमित 47
29 जिसको अनुराग सा 48
30 विश्व-जीवन के 49
31 चुका पायेगा कैसे बोल 51
32 सजनि तेरै 53
नीरजा
33 तृतीय यामः 55-82
34 धीरे-धीरे उतर क्षितिज से 55
35 पुलक पुलक उतर क्षितिज से 57
36 कौन तुम मेरे हृदय में ? 59
37 विरह का जलजात जीवन 62
38 बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ 63
39 रूपसि तेरा घन-केश-पाश 64
40 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल 66
41 मेरे हँसते अधर नहीं 68
42 कैसे संदेश प्रिय पहुँचाती 70
43 टूट गया वह दर्पण निर्मम 72
44 मधुवेला है आज 74
45 लाये कौन संदेश नये धन 75
46 प्राणपिक प्रिय-नाम रे कह 77
47 क्या पूजन क्या अर्चन रे ? 79
48 लय गीत मदिर, गति ताल अमर 80
49 उर तिमिरमय घर तिमिरमय 82
सांध्य गीत
50 चतुर्थ यामः 105
51 प्रिय साभ्य गगन 83
52 रागभीनी तू सजनि निश्वास भी मेरे रँगीले 85
53 जले किस जीवन की सुधि ले 87
54 शून्य मन्दिर में बनूँगी आज मैं प्रतिमा तुम्हारी 88
55 रे पपीहे पी कहाँ ? 89
56 शलभ मैं शापमय वर हूँ 90
57 मैं किसी की क्त छाया हूँ न क्यों पहचान पाता 92
58 मैं नरिभरी दुख की बदली 93
59 झिलमिलाती रात मेरी 95
60 फिर विकल हैं प्राण मेरे 96
61 चिर सजन आँखे उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना 97
62 कीर का प्रिय आज पिजर खोल दो 99
63 ओ अरुण वासना 100
64 जाग जाग सुकेशिनी री ! 101
65 क्यों मुझे प्रिय हों न बन्धन 102
66 हे चिर महान ! 104
67 तिमिर में वे पद-चिह्न मिले ! 105

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Paperback

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Publishing Year

2011

Pulisher

Language

Hindi

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